रेलवे में पक्की टिकट मिलने की संभावना बढ़ीः अध्ययन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Nov, 2017 03:53 PM

railway likely to get fixed ticket  study

त्यौहारों के दौरान रेल की पक्की (कंफर्म) टिकट मिलना मुश्किल होता है लेकिन रेलवे द्वारा इस बार दिवाली के दौरान विशेष तथा नई ट्रेनों को चलाने जैसे प्रबंध के कारण प्रतीक्षा सूची के टिकट ‘कंफर्म’ होने की दर पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ी। यह बात परामर्श...

नई दिल्लीः त्यौहारों के दौरान रेल की पक्की (कंफर्म) टिकट मिलना मुश्किल होता है लेकिन रेलवे द्वारा इस बार दिवाली के दौरान विशेष तथा नई ट्रेनों को चलाने जैसे प्रबंध के कारण प्रतीक्षा सूची के टिकट ‘कंफर्म’ होने की दर पिछले वर्ष के मुकाबले बढ़ी। यह बात परामर्श सेवा कंपनी रेलयात्री के अध्ययन में सामने आई है। एप के जरिए रेल संबंधी तथा अन्य सेवाएं उपलब्ध कराने वाली रेलयात्री.इन के अध्ययन से यह भी पता चलता है कि स्लीपर श्रेणी में पिछले वर्ष की तुलना में इस साल औसतन प्रतीक्षा सूची नीचे आई है।

टिकट कन्फर्मेशन में इजाफा
अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार दिवाली के अवकाशों के समय देहरादून-हावड़ा दून एक्सप्रेस, पुणे-जम्मू तवी झेलम एक्सप्रेस समेत कई लंबी दूरी की ट्रेनों में टिकट पक्की होने की दर वर्ष 2016 में क्रमश 38.50 प्रतिशत और 52.00 प्रतिशत थी इसके मुकाबले 2017 में इनमें कन्फर्मेशन दर बढ़कर क्रमश: 60.40 प्रतिशत और 64. 90 प्रतिशत हो गई। इसी तरह वहीं छत्रपति टर्मिनल से हावड़ा सुपरफाट मेल (गया के रास्ते) में टिकट पक्की होने की दर 2016 में 40.0 प्रतिशत के मुकाबले 2017 में दिवाली के दौरान 50.40 प्रतिशत हो गई है। इसी प्रकार, पुणे-जम्मूतवी झोल एक्सप्रेस, पुणे-दानापुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस और बैंगलोर दानापुर संघमित्रा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में भी टिकट पक्की होने की स्थिति सुधरी।

त्यौहारों के दौरान रेल टिकट की भारी मांग
अध्ययन के अनुसार रेलवे में टिकट निरस्त कराने की दर पिछले दो साल से 18 प्रतिशत है। इसका मतलब है कि शेष प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को पक्की टिकट मिली। वर्ष 2015 में प्रतीक्षा सूची के टिकटों के निरस्तीकरण की दर 25.5 प्रतिशत थी जो 2016 और 2017 में 18 प्रतिशत पर बरकरार है। रेल यात्री के सह संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी मनीष राठी ने कहा, ‘‘हर साल दीवाली एवं अन्य त्यौहारों के दौरान रेल टिकट की भारी मांग होती है और कई यात्री को पक्की टिकट नहीं मिल पाती। हालांकि आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ ही लोगों को अपने टिकट निरस्त करने पड़े।’’ अध्ययन में यह भी कहा गया है स्लीपर श्रेणी में पिछले वर्ष की तुलना में इस साल औसतन प्रतीक्षा सूची नीचे आई है। इसके अनुसार अवकाश के दौरान, ‘‘कोटा-पटना एक्सप्रेस में स्लीपर श्रेणी में 2016 में औसतन प्रतीक्षा सूची 813 थी जो 2017 में घटकर 735 पर आ गई। वहीं भागलपुर-मुंबई लोकमान्य तिलक सुपर फास्ट एक्सप्रेस में प्रतीक्षा सूची 2017 में घटकर 727 पर आ गर्ई जो 2016 में 736 थी। इसी प्रकार, अहमदाबाद-हरिद्वार योग एक्सप्रेस, यंशवंतपुर-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस जैसे ट्रेनों में भी प्रतीक्षा सूची घटी है।’’   

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