नोटबंदी की दुर्घटना में ‘डीरेल’ हुई रेलवे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jun, 2017 11:32 AM

railways   derell   in the case of the cash strapped accident

कुछ बेहतर करने के चक्कर में कभी-कभी कुछ ज्यादा नुक्सान भी उठाना पड़ जाता है। यही कुछ आई.आर.सी.टी.सी. के साथ हो रहा है।

नई दिल्ली : कुछ बेहतर करने के चक्कर में कभी-कभी कुछ ज्यादा नुक्सान भी उठाना पड़ जाता है। यही कुछ आई.आर.सी.टी.सी. के साथ हो रहा है। नोटबंदी के दौरान कैशलैश को बढ़ावा देने के लिए ई-टिकट बुकिंग से सॢवस चार्ज क्या हटा दिया आई.आर.सी.टी.सी. डीरेल हो गई है। नोटबंदी के बाद सॢवस चार्ज से छूट देने के चलते आई.आर.सी.टी.सी. को करीब 650 करोड़ रुपए के राजस्व का नुक्सान हो चुका है। इस नुक्सान की भरपाई नहीं होने के कारण आई.आर.सी.टी.सी. को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि इस पूरी कवायद में ई-टिकट की बुकिंग में मात्र 4 प्रतिशत का ही इजाफा हुआ है। 

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उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष नोटबंदी के दौरान नकदी की किल्लत होने और कैशलैश हो बढ़ावा देने के लिए सरकार ने रेलवे के ई-टिकट की बुकिंग पर सॢवस चार्ज से छूट देने का आदेश जारी कर दिया। शुरूआत में यह आदेश 31 दिसम्बर 2016 तक के लिए था। इस अवधि में आई.आर.सी.टी.सी. को करीब 80 करोड़ रुपए का नुक्सान हो रहा था, लेकिन बाद में इस छूट को बढ़ाकर 31 मार्च 2017 और फिर 30 जून 2017 तक कर दिया गया। इस कारण स्लीपर श्रेणी के ई-टिकट की बुकिंग पर 20 रुपए और वातानुकुलित श्रेणी की बुकिंग पर 40 रुपए की छूट यात्रियों को मिली है। नोटबंदी के दौरान नकदी की कमी के कारण ई-टिकट की बुकिंग के लिए यात्रियों ने आई.आर.सी.टी.सी. की ओर रुख कर लिया है।

 PunjabKesariनोटबंदी से पहले आई.आर.सी.टी.सी. रोजाना कुल आरक्षित रेल टिकट का 60 प्रतिशत टिकट बुक करती थी और शेष 40 प्रतिशत टिकट बुकिंग रेलवे के विंडो काऊंटरों पर होता था। नोटबंदी के बाद यह बढ़कर 68 प्रतिशत हो गया था, लेकिन यह कम होकर 64 प्रतिशत पर आ गया। समझा जा रहा है कि नकदी की कमी के कारण यह आंकड़ा बढ़ा है और फिर जैसे ही नकदी की कमी दूर हो गई फिर यात्रियों ने रेलवे के टिकट विंडो की ओर रुख कर लिया है। सूत्रों का कहना है कि आई.आर.सी.टी.सी. की कमाई का प्रमुख जरिया उसकी वैबसाइट से होने वाली ई-टिकट से मिलने वाला सॢवस चार्ज ही है। इस सॢवस चार्ज से मिलने वाले राजस्व से वैबसाइट मैंटेंन करने के अलावा आई.आर.सी.टी.सी. अन्य खर्चों को निपटाती है, लेकिन इस कमाई पर ग्रहण लगने से आई.आर.सी.टी.सी. के सामने कई मुश्किलें हैं और वह इसकी भरपाई के लिए रेल मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की ओर टकटकी लगाए है। 

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