Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jun, 2017 02:50 PM
रेलवे को टिकटों की बिक्री के साथ यात्रियों के अनुरोध पर उनकी आरक्षित टिकट को निरस्त करने से एक मोटी रकम मिलती है
नई दिल्लीः रेलवे को टिकटों की बिक्री के साथ यात्रियों के अनुरोध पर उनकी आरक्षित टिकट को निरस्त करने से एक मोटी रकम मिलती है। सभी जानते है आरक्षित टिकटों को रद्द करने के बदले मूल टिकट की राशि में कटौती की जाती है। जिसके जरिए रेलवे के राजस्व वित्तीय वर्ष 2016-17 में इसके पिछले साल के मुकाबले 25.29 प्रतिशत से बढ़कर 14.07 रूपए अरब हो गया है। मध्य प्रदेश नीमच निवासी सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि उन्हें एक आर.टी.आई. के जवाब में रेलवे सुचना प्रणाली केंद्र (सीआरआईएस) ने यह जानकारी दी रेलवे को 2016-17 में हुई 14 अरब से ज्यादा की इनकम रेलवे को टिकटों की बिक्री के साथ यात्रियों के अनुरोध पर उनके आरक्षित टिकट निरस्त करने से भी मोटी कमाई हो रही है।
गौड़ की आर.टी.आई. अर्जी पर 13 जून को भेजे जवाब में सी.आर.आई.इस .के एक अफसर ने यात्री आरक्षण प्रणाली (पीआरएस) के तहत उपलब्ध जानकारी के हवाले से बताया कि रेलवे ने टिकट रद्द करने के अनुरोध पर यात्रियों से वसूले जाने वाले प्रभार से वित्तीय वर्ष 2015-2016 में 11.23 अरब रुपए, 2014-2015 में 9.08 अरब रुपए और 2013-2014 में 9.38 अरब रुपए कमाए. मुसाफिरों के अनारक्षित टिकटों को रद्द किए जाने पर वसूले जाने वाले शुल्क से भी रेलवे का खजाना भर रहा है।
बहरहाल, जब उन्होंने एक अलग आर.टी.आई. अर्जी के जरिए इन नियमों में संशोधन से जुड़ी फाइल नोंटिग का ब्यौरा मांगा तो रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने उन्हें आठ मार्च को जवाब भेजे सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 8(1) (D) का हवाला देते हुए कहा, क्योंकि यह जानकारी रेलवे की वाणिज्यिक गोपनीयता का हिस्सा है इसलिए इसे मुहैया नहीं कराया जा सकता।