बारिश ने बढ़ाए सब्जियां के दाम, इतनी महंगी बिक रही मंडियों में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jul, 2017 11:42 AM

rain has increased the prices of vegetables in such expensive selling markets

लगातार हो रही बारिश से लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत तो मिल रही है लेकिन सब्जियों के बढ़े दाम से पसीना बराबर निकल रहा है

नई दिल्ली: लगातार हो रही बारिश से लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत तो मिल रही है लेकिन सब्जियों के बढ़े दाम से पसीना बराबर निकल रहा है। हालात यह हैं कि हरी सब्जियां 3 से 4 गुना अधिक दाम पर बिक रही हैं जिससे किचन के बजट पर बोझ पडऩे से गृहहणियां परेशान हो रही हैं।जून के उत्तराद्र्ध से बारिश ज्यों-ज्यों रफ्तार पकड़ रही है, उतनी ही तेजी से सब्जियों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। टमाटर अनार के भाव बिक रहा है यानी बारिश से पहले 10 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर अब 100 या 120 रुपए किलो बिक रहा है।

हरी सब्जियां जैसे तरोई, परवल, करेला, पालक,  भिंडी, शिमला मिर्च, कद्दू आदि सब्जियां मंडियों से लगभग गायब हो गई हैं।इनके दामों में 3 से 4 गुना की बढ़ौतरी हो गई है। इस महंगाई ने गृहिणियों की रसोई का बजट पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है। उधर सब्जियों के बढ़े भावों से घर के मुखिया को भी रसोई का खर्च चलाने के लिए अन्य मदों में कटौती करनी पड़ रही है। 30-40 रुपए किलो बिक रहा धनिया अब 125 रुपए किलो हो गया है। प्याज, टमाटर और मिर्च के भाव बढऩे से गरीब को रोटी के साथ चटनी खाना भी मुश्किल हो गया है। सब्जी विक्रेता रमेश, जगदीश, रामलाल, कन्हैया लाल, दीपेश आदि ने बताया कि बारिश में बड़ी मंडियों से माल कम आ रहा है जिससे सब्जियों के भाव बढ़ गए हैं।
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किसानों को उत्पादन का नहीं मिल पा रहा उचित दाम
वहीं दिल्ली देहात में ही सब्जी उगाने वाले किसानों को उनके उत्पादन का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। ज्यादातर सब्जी आजादपुर मंडी व नरेला में बेच दी जाती है। हर साल किसान मुनाफे की उम्मीद में सब्जी उगाते हैं, लेकिन अक्सर घाटा खा जाते हैं। अगर ये किसान 5 बीघा जमीन में टमाटर का उत्पादन करते हैं तो इतनी जमीन से करीब 500 क्रेट (टोकरी) टमाटर निकलता है। एक क्रेट टमाटर पर मजदूरों से तुड़वाने से लेकर उसे मंडी तक ले जाने की लागत 70 रुपए आती है। क्रेट मंडी में 80 से 125 तक बिकता है। उसमें उसे 5 प्रतिशत कमीशन सेल्स एजैंट को भी देना पड़ता है।
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एक क्रेट में 28 किलो तक टमाटर होता है यानी एक किलो में उस किसान को सिर्फ  साढ़े 3 से 5 रुपए तक ही मिल रहे हैं  इसी प्रकार  भिंडी कुछ दिन पहले तक 5 किलो 40 से 60 रुपए में बिकती थी, जो अब 16 से 20 रुपए बिक रही है। 5 बीघे जमीन में  भिंडी की तुड़वाई का खर्च 1000 रुपए आता है और उसी को बाजार तक ले जाने का खर्चा 300 रुपए तक आता है। बाजार रेट अच्छा न होने की वजह से किसानों के लिए ङ्क्षभड़ी की बुआई करना भी संतोषजनक नहीं है। बाजार में  भिंडी 50 रुपए किलो से ऊपर बिक रही है। 5 बीघा खेत में मटर की बुआई करने पर 50 से 60 मन मटर की उपज होती है। हिसाब के अनुसार 5 किलो मटर पर तुड़वाई से लेकर मंडी तक ले जाने तक का खर्चा 35 रुपए होता है और उसी 5 किलो मटर की बिक्री पर किसान को 60 से 65 रुपए तक मिलते हैं। इस हिसाब से किसान को एक किलो मटर की कीमत 10 से 15 रुपए के बीच मिलती है और यही मटर मार्कीट में 50 से 80 रुपए किलो तक बिकता है।

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