Edited By ,Updated: 14 Dec, 2016 10:15 AM
डिजिटल पेमेंट की तरफ बढ़ते कदमों में सुरक्षा मानकों पर उठते सवाल को आरबीआई ने गंभीरता से लिया है।
नई दिल्लीः डिजिटल पेमेंट की तरफ बढ़ते कदमों में सुरक्षा मानकों पर उठते सवाल को आरबीआई ने गंभीरता से लिया है। रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों का तत्काल इंटरनेट बैंकिंग का स्पेशल ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। इससे डिजिटल पेमेंट को साइबर अटैक से बचाने के रास्तों को बंद किया जाएगा।
यह टीम करेगी विशेष ऑडिट
कैशलैस पर जोर देने के साथ उसे सुरक्षित बनाने के कदम उठाए जा रहे हैं। डिजिटल पेमेंट, ई बैंकिंग को जालसाजों से बचाने के लिए नए सिरे से रूपरेखा तैयार की गई है। इसके तहत आरबीआई ने इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रेस्पांस टीम (सर्ट-इन) से विशेष ऑडिट कराने का आदेश बैंकों को दिया है। सर्ट इन एक राष्ट्रीय नोडल एजेंसी है जो कंप्यूटर सुरक्षा संबंधित किसी घटना से निपटने के लिए सभी एहतियातन कदम उठाती है।
कैशलेस ट्रांजेक्शन में सबसे बड़ी बाधा साइबर हमलावर
ऑडिट की रिपोर्ट के आधार पर बैंकों को सुरक्षा संबंधी मानकों का 100 फीसदी पालन करना होगा। कैशलेस ट्रांजेक्शन और ई-पेमेंट की राह में सबसे बड़ी बाधा साइबर हमलावर हैं। 8 नवम्बर को नोटबंदी के बाद से अब तक साइबर हमलों की संख्या 215 फीसदी बढ़ चुकी है।
ई-पेमेंट का प्रयोग करने वालों की संख्या 16 फीसदी
अचानक हमलों की रफ्तार दोगुना होने से सतर्क आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि खाताधारकों की सुरक्षा के लिए हर कदम जल्द से जल्द उठाया जाए। अभी अपने देश में ई-पेमेंट इस्तेमाल करने वालों की संख्या महज 16 फीसदी है। इसमें एटीएम ग्राहक शामिल नहीं हैं।
बारीकी से होगी छानबीन
ग्राहकों की शिकायतों और समस्याओं को गंभीरता से लिया जाए क्योंकि उन्हीं की फीडबैक से बैंक को अपना सिक्योरिटी सिस्टम दुरुस्त करने में मदद मिलेगी। छोटा सा छोटा सिस्टम भी जांचा जाएगा। बैंक और डिजिटल पेमेंट कंपनियों का ऑडिट बहुत गहराई से होगा। उनके हार्डवेयर सिस्टम, ऑपरेटिंग सिस्टम और क्रिटिकल प्रोग्राम्स का बारीकी से अध्ययन होगा।