RBI ने रेपो रेट 6 फीसदी पर रखा बरकरार, सस्ता नहीं होगा लोन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Feb, 2018 03:00 PM

rbi keeps repo rate intact will not be cheap loan

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) की दो दिवसीय बैठक ने आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6 फीसदी पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा गया है।

नई दिल्ली: रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एम.पी.सी.) की दो दिवसीय बैठक ने आज रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6 फीसदी पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। बैंक के इस कदम से सस्‍ते कर्ज का इंतजार और लंबा हो गया है। सबकी निगाहें अब अप्रैल में होने वाली बैठक पर टिक गई हैं।

बैठक की अहम बातें
रिजर्व बैंक ने 2017-18 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.7 से घटाकर 6.6 फीसदी किया। अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान बताया। आर.बी.आई. का अनुमान चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 5.1 फीसदी और अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 5.1 से 5.6 फीसदी के बीच रह सकती है। रिजर्व बैंक ने कहा, जीएसटी स्थिर हो रहा है, आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हें और निवेश में सुधार के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं। बैंक ने रिपोर्ट में कहा है कि सिस्टम में सरप्लस लिक्विडिटी जारी रहेगी। अप्रैल से बेस रेट पर तय कर्ज को एमसीएलआर से जोड़ा जाएगा।

क्यों नहीं किया बदलाव
जानकारों द्वारा पहले ही अनुमान लगाए जा चुके थे कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति में वृद्धि, तेल के दाम में तेजी और सरकार की फसल का समर्थन मूल्य बढ़ाने की योजना को देखते हुए मानक नीतिगत दर में कटौती से परहेज कर सकता है। यदि बैंक ब्याज दरों में कटौती का ऐलान करता तो लोन की दरें कम हो जाती और इसके चलते आपको होमलोन व अन्य प्रकार के लोन पर आपकी ई.एम.आई. में कटौती का फायदा होता।

दिसंबर में भी नहीं बदले थे रेपो रेट 
आरबीआई ने दिसंबर में मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति में वृद्धि की आशंका को देखते हुए मानक नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया था। साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 6.7 फीसदी कर दिया था। केंद्रीय बैंक ने दिसंबर में रेपो रेट को 6 फीसदी पर जबकि रिवर्स रेपो रेट को 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा था। अगस्त में भी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को 6.25 से घटाकर 6 फीसदी कर दिया था जबकि रिवर्स रेपो रेट को 6 से 5.75 फीसदी कर दिया था।

समिति में शामिल हैं ये सदस्य 
मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं। वहीं रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति प्रभारी डिप्टी गवर्नर विरल.ए. आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक मिशेल डी पात्रा इसके सदस्य हैं।

क्या होती है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को आर.बी.आई. कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे।

रिवर्स रेपो रेट
यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आर.बी.आई. में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।  

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