पनामा पेपर्स में ज्यादातर भारतीयों के खाते वैध!

Edited By ,Updated: 13 Apr, 2016 11:07 AM

rbi raghuram rajan

पनामा पेपर्स में करीब 500 भारतीयों के नाम वाले अकाऊंट्स की शुरूआती जांच में ऐसा लग रहा है कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ नहीं हुई है।

नई दिल्लीः पनामा पेपर्स में करीब 500 भारतीयों के नाम वाले अकाऊंट्स की शुरूआती जांच में ऐसा लग रहा है कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ नहीं हुई है। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ज्यादातर अकाऊंट्स के मामले मे आर.बी.आई. के नियमों का पालन किया गया है। 

 

अधिकारी ने कहा, 'इनमें से करीब 90 फीसदी अकाऊंट्स में आर.बी.आई. की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एल.आर.एस.) का यूज किया गया है लेकिन बाकियों को कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।' अधिकारी ने उन लोगों पर कार्रवाई के सरकार के इरादे का संकेत दिया, जिन्होंने देश में ब्लैक मनी लॉ लागू होने से पहले वन-टाइम एमनेस्टी स्कीम के तहत विदेश में रखी गई अघोषित संपत्ति का खुलासा नहीं किया था।

 

पनामा पेपर्स उन 1.15 करोड़ डॉक्युमेंट्स से जुड़े हैं, जो पनामा की लॉ फर्म मोसेक फोनसेका से लीक हुए। यह कम्पनी ऐसी विदेशी कम्पनियां खोलने में मदद करती है, जिनका इस्तेमाल सम्पत्ति छिपाने में किया जा सके। यह मामला सामने आने के बाद आइसलैंड के पीएम को इस्तीफा देना पड़ा और कई अन्य ग्लोबल लीडर्स की आलोचना हो रही है।

 

आर.बी.आई. गवर्नर रघुराम राजन ने पिछले सप्ताह आगाह किया था कि जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा था, 'यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि विदेश में अकाऊंट्स खोलने के वैध कारण भी होते हैं।' आर.बी.आई. उस मल्टी-एजैंसी ग्रुप में शामिल है, जिसे सरकार ने पनामा पेपर्स में सामने आए नामों की जांच करने के लिए बनाया है।

 

भारतीय लोग ऐसी इनकम से विदेशी अकाऊंट्स खोल सकते हैं, जिस पर इंडिया में टैक्स चुकाया गया हो। हालांकि इसमें बंदिश यह है कि 2004 में शुरू की गई एलआरएस के तहत तब एक फाइनैंशियल ईयर में 25,000 डॉलर बाहर ले जाए जा सकते थे, जिसे बढ़ाकर अब 2,50,000 डॉलर यानी 1.63 करोड़ रुपए किया जा चुका है।

 

फाइनैंशल इयर 2015 में एलआरएस के तहत करीब 1.3 अरब डॉलर विदेश से बाहर ले जाए गए। एलआरएस के तहत भारतीय लोग विदेश में प्रॉपर्टी खरीद सकते हैं, इक्विटी और डेट में निवेश कर सकते हैं, चंदा और गिफ्ट देने सहित कुछ अन्य काम कर सकते हैं। करीब 25 करोड़ डॉलर प्रॉपर्टी, शेयरों और डेट में लगाए गए।

 

फाइनेंशल इयर 2015 तक के एक दशक में 8 अरब डॉलर से ज्यादा रकम इस रूट से विदेश ले जाई गई और इसका बड़ा हिस्सा ट्यूशन फीस और करीबी रिश्तेदारों की देखभाल में खर्च करने की जानकारी दी गई थी।

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