Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Feb, 2018 01:30 PM
बैंकों की स्थिती को संभालने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है ।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंकों में बढ़ते एन.पी.ए से निपटने के लिए सख्त कदम उठाया है। आरबीआई ने बैड लोन रेजलूशन के लिए नियमों को सख्त करते हुए बड़े एनपीए निपटाने के...
नई दिल्लीः बैंकों की स्थिती को संभालने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है ।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंकों में बढ़ते एन.पी.ए से निपटने के लिए सख्त कदम उठाया है। आरबीआई ने बैड लोन रेजलूशन के लिए नियमों को सख्त करते हुए बड़े एनपीए निपटाने के लिए समयसीमा तय कर दी है। इसके तहत बैंकों को इन खातों को दिवालिया कार्यवाही के तौर मानना अनिवार्य हो जाएगा। इसके अलावा, आरबीआई ने SDR और S4A जैसी मौजूदा डेट रीस्ट्रक्चरिंग स्कीमों को भी वापस ले लिया है।
आरबीआई ने विभिन्न रेजलूशन प्लांस की परिभाषा जारी की है और वित्तीय दिक्कतों की सांकेतिक लिस्ट दी है। साथ ही, बैंकों को निर्देश दिया है कि वह चुनिंदा डिफाल्ट कर्जधारकों पर बने डाटा को आरबीआई के साथ प्रत्येक शु्क्रवार को शेयर किया जाए। बड़े खाते ऐसे हैं जिनहें बैंकों ने रेजलूशन में डाल दिया है और उनहें रीस्ट्रक्चर्ड स्टैंडर्ड एसेट्स के तौर पर देखा जा रहा है। भारतीय बैंकों में इस वक्त 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा फंसे कर्ज हैं। अगर कोई कंपनी दिवालिया हो चुकी है तो 180 दिन के भीतर उसे बंद करने का निर्णय भी लिया जा सकता है। इसके अलावा दूसरे जो एनपीए हैं उन पर भी 6 महीने के भीतर प्लान सौंपा जाएगा।