RBI के सर्वे ने बजाई मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Aug, 2017 03:52 PM

rbi surveys a wake up call for the narendra modi government

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में एक सर्वेक्षण किया है जो मोदी सरकार के लिए ...

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में एक सर्वेक्षण किया है जो मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है। सर्वे में यह बात सामने आई है कि लोग अपनी आय वृद्धि, रोजगार और आर्थिक स्थिति से खुश नहीं है जैसे कि मोदी सरकार के आने से पहले। जून 2017 के लिए आर.बी.आई. का सर्वे यह दिखाता है कि लोगों की आमदनी दिसंबर 2013 और मार्च 2014 के मुकाबले पहले से कम है।

हर महीने सर्वे करता है RBI
रिजर्व बैंक द्वारा बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में उपभोक्ता विश्वास सर्वे किया गया। सर्वे के मुताबिक जून 2017 में 32 फीसदी लोगों ने कहा है कि उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है। दिसंबर, 2016 में ऐसा मानने वालों की संख्या 46 फीसदी के करीब थी। यही नहीं, उन लोगों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है जो यह मानते हैं कि उनके आर्थिक हालात में अगले एक साल तक कोई खास सुधार नहीं होने वाला है। आर.बी.आई हर महीने यह सर्वे करता है। इसे अर्थशास्त्री व नीति निर्धारक बहुत महत्व देते हैं, क्योंकि इस पैमाने पर आम जनता के आर्थिक हालात, उनके पैसे खर्च करने की योजना व रोजगार के बारे में उनके विचार जानने का देश में कोई और सर्वे हर महीने नहीं किया जाता। रिजर्व बैंक अपनी नीति बनाने में भी इस सर्वेक्षण की मदद लेता है।

आय को लेकर भी झलकी निराशा
सर्वे में शामिल लोगों से उनकी आमदनी के बारे में भी पूछा गया। यहां भी लोगों की निराशा झलक रही है। दिसंबर, 2016 में 27.1 फीसदी लोगों ने कहा था कि उनकी आय बढ़ी है। जबकि जून 2017 में 23.8 फीसदी लोगों ने ही यह बात कही है। साथ ही उन लोगों की तादाद में भी इजाफा हुआ है जो यह समझते हैं कि उनकी आय एक साल में घटने वाली है। आर.बी.आइ. के अनुसार यह दशा पिछले तीन महीनों से है।
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सरकार ने उठाए कई अहम कदम
रिजर्व बैंक द्वारा उद्योग को लेकर भी सर्वे किया गया। औद्योगिक सर्वेक्षण में पता चलता है कि हालात इतने बुरे नहीं है जितने कि 2013 में थे। निर्माताओं का मानना है कि जून 2017 में रोजगार बढ़ा है जोकि मार्च 2014 में कम था। बता दें कि वर्तमान सरकार ने आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। जैसे कि कम राजकोषीय घाटा, न्यूनतम समर्थन मूल्यों में कम वृद्धि, पैट्रोलियम सब्सिडी हटाना, माल और सेवा कर (जी.एस.टी.), दिवालियापन कानून और रियल एस्टेट में रेरा लागू करना।

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