Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 12:23 PM
भारतीय रिजर्व बैंक के लिए 2018 समाप्त हो चुके साल 2017 तरह ही रह सकता है। केंद्रीय बैंक को नए साल में भी नीतिगत दरें और कम करने की मांग करने वालों का शोर सुनाई देता रहेगा, उसे मुद्रास्फीति काबू में रखने के लिए बराबर सतर्क रहना होगा और यह आलोचना आगे...
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक के लिए 2018 समाप्त हो चुके साल 2017 तरह ही रह सकता है। केंद्रीय बैंक को नए साल में भी नीतिगत दरें और कम करने की मांग करने वालों का शोर सुनाई देता रहेगा, उसे मुद्रास्फीति काबू में रखने के लिए बराबर सतर्क रहना होगा और यह आलोचना आगे भी झेलनी पड़ेगी कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि की जरूरत के लिए कुछ नहीं कर रहा। यही नहीं बैंकिंग क्षेत्र का एन.पी.ए. अभी भी बहुत अधिक रहने की वजह से उसे अगले साल भी इसकी सफाई के अभियान में जुटे रहना होगा, दूसरे शब्दों में कहें तो भारतीय रिजर्व बैंक को लोकोक्तियों का ‘उल्लू’ बने रहना चाहिए-जैसा कि आर.बी.आई. के वर्तमान गवर्नर उर्जित पटेल ने कुछ साल पहले कहा था, जब वह एक डिप्टी-गवर्नर थे। उन्होंने कहा था कि उल्लू पारंपरिक रूप से बुद्धि का प्रतीक है, इसलिए हम न तो कबूतर और न ही बाज हैं बल्कि हम उल्लू हैं और जब दूसरे लोग आराम कर रहे होते हैं तो हम चौकीदारी कर रहे होते हैं।
40 बड़े खातों पर ध्यान केंद्रित करेगा आर.बी.आई.
आर.बी.आई. उन 40 बड़े खातों पर ध्यान केंद्रित करेगा जो 10,000 अरब रुपए के सकल एन.पी.ए. के 40 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार माना गया है। एन.पी.ए. के विरुद्ध कार्रवाई में केंद्रीय बैंक को फिलहाल जिंदल स्टील एंड पावर और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज जैसे प्रमुख ऋण खातों को लेकर बैंकों से विवाद का सामना करना पड़ेगा।
पुनर्पूंजीकरण कार्यक्रम पर आर.बी.आई. कर रहा काम
एन.पी.ए. की मार से जूझ रहे बैंकों को मजबूत करने के लिए सरकार ने सार्वजनिक बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ के पुनर्पूंजीकरण कार्यक्रम की घोषणा की थी और इसके लिए वह आर.बी.आई. के साथ काम कर रही है। इसके अलावा राजकोषीय घाटा दूसरा क्षेत्र है, जिस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। देश का राजकोषीय घाटा 8 महीने में तय अनुमान से आगे निकल गया है। नवम्बर महीने में राजकोषीय घाटा पूरे साल के अनुमान से आगे निकलकर 112 प्रतिशत हो गया है।