Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Dec, 2017 11:02 AM
पता चला है कि अनिल अम्बानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्यूनिकेशन (आरकॉम) ने चाइना डिवैल्पमैंट बैंक (सी.डी.बी.) का लगभग 2 बिलियन डालर का कर्ज अदा करना है। उक्त बैंक आरकॉम को दिवालिया इकरार दिलाने के लिए मामला अदालत में ले जाने की तैयारी कर रहा है। चीन...
हांगकांग: पता चला है कि अनिल अम्बानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कम्यूनिकेशन (आरकॉम) ने चाइना डिवैल्पमैंट बैंक (सी.डी.बी.) का लगभग 2 बिलियन डालर का कर्ज अदा करना है। उक्त बैंक आरकॉम को दिवालिया इकरार दिलाने के लिए मामला अदालत में ले जाने की तैयारी कर रहा है। चीन के 2 और बैंक भी सी.डी.बी. का समर्थन कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार सी.डी.बी. ने पिछले महीने आरकॉम के विरुद्ध इस संबंधी कार्रवाई शुरू की थी।
आरकॉम द्वारा पिछले कई महीनों से अपने कर्जे को ‘डैब्ट फार इक्विटी स्वैप’ द्वारा फिर से संगठित करने की कोशिश की जा रही है। अब इंडस्ट्रियल एंड कमॢशयल बैंक ऑफ चाइना (आई. सी.बी.सी.) और एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ चाइना ने सी.डी.बी. की हिमायत करने का फैसला किया है। उक्त सांझे प्रयास का भारतीय कम्पनी पर एक विलक्षण किस्म का प्रभाव पड़ेगा। चीनी बैंक और नेता वास्तव में भारत में अपनी मौजूदगी का अहसास करवाना चाहते हैं।
इसके साथ ही ये सब प्रयास अनिल अम्बानी की कम्पनी आरकॉम के उन प्रयासों को धक्का लगाएंगे जो अदालत से बाहर ही इस मामले को हल करना चाहते हैं। आरकॉम ने गत सप्ताह कहा था कि उसके और ज्यादा कर्जदार सी.डी.बी. की दिवालिया करार देने संबंधी मुहिम का विरोध करेंगे। इस साल 31 मार्च तक आरकॉम की तरफ 45,783 करोड़ रुपए (7.1 बिलियन डालर) का कर्ज था। आरकॉम भारत की एक सबसे बड़ी टैलीकाम कम्पनी है। कम्पनी ने आज तक कभी भी यह नहीं बताया था कि उसने किसी चीनी बैंक का इतना कर्ज देना है।
अदालत से बाहर समझौता होने की संभावना कम
अभी इस संबंधी यह आम सहमति नहीं बनी कि क्या भारतीय बैंक सी.डी.बी. की पटीशन का विरोध करेंगे क्योंकि ज्वाइंट लीडर्ज फोरम जो सब बैंकों का प्रतिनिधित्व करती है, की आज तक कोई मीटिंग नहीं हुई। सूत्र बताते हैं कि आरकॉम और सीनियर नेताओं के मध्य अदालत से बाहर समझौता होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि आरकॉम ने बीते समय दौरान अपने वायदे पूरे नहीं किए जिस कारण चीनी बैंक निराश हैं। इस साल जून में आरकॉम के और ज्यादा घरेलू देनदारों ने कर्जे के ढांचे को फिर से संगठित करने पर सहमति प्रकट की थी।