Edited By ,Updated: 03 Aug, 2016 12:02 PM
सरकार ने रियल एस्टेट एक्ट 2016 के तहत एग्रीमेंट ऑफ सेल रूल्स का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। इसके तहत बायर्स और डेवलपर्स के बीच
नई दिल्लीः सरकार ने रियल एस्टेट एक्ट 2016 के तहत एग्रीमेंट ऑफ सेल रूल्स का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। इसके तहत बायर्स और डेवलपर्स के बीच होने वाले एग्रीमेंट का मसौदा भी जारी किया गया है, जिसमें बायर्स को फायदा तो होगा लेकिन उसके लिए कई समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं। इसके मुताबिक एग्रीमेंट की शर्तों का पालन न करने पर फ्लैट या प्लॉट बायर के हाथ से जा सकता है। एग्रीमेंट में साफ कहा गया है कि यदि बायर्स ने किसी किस्त या डिमांड का भुगतान नहीं किया तो डेवलपर 30 दिन के भीतर अलॉटमेंट कैंसिल कर सकता है। इतना ही नहीं मेंटीनेंस चार्ज न देने पर डेवलपर, बायर का बिजली-पानी तक काट सकता है।
एग्रीमेंट में बायर्स को भी नहीं बख्शा गया है। फेडरेशन ऑफ अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशंस ऑफ ग्रेटर फरीदाबाद के अध्यक्ष उमेश प्रभाकर ने कहा कि एग्रीमेंट ऑफ सेल में दोनों पक्षों को एक जगह खड़ा किया गया है। प्रभाकर ने कहा कि एग्रीमेंट के ड्राफ्ट में कहा गया है कि यदि डेवलपर के डिमांड नोटिस के बाद 30 दिन के अंदर बायर्स को पेमेंट करना होगा, यदि पेमेंट नहीं किया जाता तो डेवलपर 30 दिन का एक नोटिस और देगा। उसके बाद अलॉटमेंट कैंसिल कर सकता है और बायर द्वारा जमा कराया गया सारा पैसा बिना किसी ब्याज या मुआवजे के लौटा सकता है। इसी तरह पजेशन के बाद बायर्स डेवलपर या आरडब्ल्यूए को कॉमन एरिया का मेंटीनेंस चार्ज नहीं देता तो डेवलपर या आरडब्ल्यूए उस सर्विस को विद्ड्रॉ कर सकता है।
एग्रीमेंट में प्रोजेक्ट की पूरी कॉस्ट का ब्यौरा भी होगा और बाद में प्रोजैक्ट की कॉस्ट नहीं बढ़ाई जाएगी। बशर्ते कि डेवलपमेंट चार्ज में कोई बदलाव न हो रहा हो। हालांकि केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय में सचिव रह चुके सुधीर कृष्णन ने कहा कि डेवलपमेंट चार्ज को और क्लीयर किया जाना चाहिए। यदि पजेशन डेट में देरी होने पर कोई चार्ज लगता है तो उसका भुगतान डेवलपर को करना चाहिए, ना कि बायर्स को। एग्रीमेंट में जमीन की कीमत, फ्लैट व कॉमन एरिया की निर्माण लागत, इंटरनल एंड एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्ज, टैक्स, इलैक्ट्रिक वायरिंग व फायर फाइटिंग सिस्टम की कॉस्ट भी शामिल होगी।