रियल्टी डेवलपर अब भी ले रहे पुराने नोट

Edited By ,Updated: 23 Dec, 2016 12:21 PM

real estate developers  property

बड़े मूल्य के नोटों को बंद किए जाने के 6 हफ्ते गुजर चुके हैं मगर अब भी बहुत सारे रियल एस्टेट डेवलपर अब भी खरीदारों और निवेशकों से विभिन्न तरीकों से बंद हो चुके 500 और 1,000 रुपए के नोटों के साथ सौदा कर रहेे हैं।

मुंबईः बड़े मूल्य के नोटों को बंद किए जाने के 6 हफ्ते गुजर चुके हैं मगर अब भी बहुत सारे रियल एस्टेट डेवलपर अब भी खरीदारों और निवेशकों से विभिन्न तरीकों से बंद हो चुके 500 और 1,000 रुपए के नोटों के साथ सौदा कर रहेे हैं। सेंट्रम कैपिटल में निवेश बैंकिंग के कार्यकारी निदेशक और रियल एस्टेट ग्रुप के प्रमुख अजय जैन ने कहा, 'बहुत से डेवलपर ऐसा कर रहे हैं (पुराने नोट स्वीकार कर रहे हैं)।' रियल एस्टेट सौदे में नकद लेन देन लंबे समय से चल रहा है। जैन ने कहा कि डेवलपर प्रॉपर्टी की बिक्री में पुराने नोट तो ले ही रहे हैं, साथ ही उन्हें बाजार से पता चला है कि कुछ डेवलपर धनी निवेशकों के साथ इस शर्त पर पैसा ले रहे हैं कि वे उन्हें अगले साल नई मुद्रा में 70 से 75 फीसदी रकम वापस कर देंगे।

इस मसले को संवेदनशील बताते हुए कई वरिष्ठ अधिकारियों ने अपना नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्र्त पर ही मुंह खोला। ऐसे ही एक वरिष्ठ प्रॉपर्टी कंसल्टेंट ने कहा कि डेवलपर जिन्होंने आय घोषणा योजना के तहत अपनी बेहिसाब संपत्ति का खुलासा किया था, वे भी पुराने नोट ले रहे हैं क्योंकि इस रकम को जमा कराने के लिए उनके पास ज्यादा वक्त है। केंद्र के विमुद्रीकरण के कदम से रियल एस्टेट डेवलपरों को सबसे ज्यादा मार पड़ी है क्योंकि रियल एस्टेट में करीब एक-चौथाई कारोबार नकद में होता है और दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यह खूब प्रचलन में है। इसके साथ ही मुंबई में महंगी प्रॉपर्टी के साथ ही अन्य प्रॉपर्टी की बिक्री में भी कमी का असर डेवलपरों पर पड़ा है। 

रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार नोटबंदी के कारण 2017 में मकानों की बिक्री में 20 से 30 फीसदी की कमी आ सकती है और इसकी वजह से डेवलपरों पर कर्ज का बोझ और बढ़ सकता है। मुंबई की एक आवास वित्त कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी ने कहा कि ऊंचे मूल्य के नोटों को बंद करने के बाद कुछ डेवलपर अपने व्यक्तिगत कर्तदाताओं से कर्ज के बदले अपार्टमेंट देने की बात कह रहे हैं। एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'वे कर्जदाताओं से ब्याज को भूल जाने और कर्ज के एवज में अपार्टमेंट लेने की बात कह रहे हैं। इस तरह से वे अपना कर्ज भी चुकाना चाहते हैं और इन्वेंट्री भी खाली करना चाहते हैं।
 

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