Edited By ,Updated: 03 Jul, 2016 03:56 PM
रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट के ड्राफ्ट रूल्स में बदलाव की मांग घर खरीददार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ड्राफ्ट रूल्स में चल रहे
नई दिल्लीः रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट के ड्राफ्ट रूल्स में बदलाव की मांग घर खरीददार कर रहे हैं। उनका कहना है कि ड्राफ्ट रूल्स में चल रहे प्रोजैक्ट को लेकर स्पष्टता नहीं है। इसको नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। अगर, ऐसा नहीं किया गया, तो जिन लोगों ने पहले से चल रहे प्रोजैक्ट में फ्लैट बुक करा रखा है, उनको इस बिल के लागू हो जाने के बाद भी कोई फायदा नहीं मिलेगा।
ऐसे बच निकलेंगे बिल्डर
नोएडा एक्सटेंशन फ्लैट ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन (नेफोवा) के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने बताया कि ड्राफ्ट रूल्स में यह साफ नहीं है कि बिल्डर ऑरिजनल सेक्शन ले-आउट या अपडेटेड ले-आउट को च्रेराज् में रजिस्ट्रर कराएगा। अगर बिल्डर अपडेटेड ले-आउट रजिस्टर करता है तो गलत करने पर भी घर खरीददार कुछ नहीं कर पाएगा। ऐसा इसलिए कि ऑरिजनल ले-आउट जो बुकिंग के समय घर खरीददारों को बताया था वह रेरा में रजिस्टर्ड ही नहीं होगा। ऐसे में होम बायर की शिकायत पर भी अथॉरिटी पेनल्टी नहीं लगा पाएगी और बिल्डर गलत करने पर भी बच निकलेगा।
क्या है मांग
बिल्डर को चालू प्रोजैक्ट को ऑरिजनल और अपडेटेड ले-आउट के साथ बदलाव किए हुए प्लान को सबमिट करने का प्राबधान करना चाहिए। इससे न सिर्फ रेगुलेटर के पास प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी होगी बल्कि ड्राफ्ट रूल्स के सेक्शन 14 का भी अनुपालन होगा। अगर, बिल्डर ऐसा नहीं करेगा तो उसे सेक्शन 60 के जरिए जुर्माना और सेक्शन 71 के जरिए नुकसान भरपाई वसूल किया जा सकेगा।
देरी से चल रहे प्रोजैक्ट को नियम स्पष्ट नहीं
रियल एस्टेट एक्सपर्ट प्रदीप मीश्रा ने बताया कि बिल के ड्राफ्ट में चालू प्रोजेक्ट के पजेशन को लेकर स्पष्टता नहीं है। ज्यादातर प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं। बिल्डर को रेरा में बुकिंग के समय दिए गए पजेशन की तारीख और अब कब पजेशन देगा इसकी जानकारी देनी चाहिए। अगर, ऐसा नहीं होगा है तो बिल के सेक्शन 60 के अंतर्गत बिल्डर पर जुर्माना नहीं लगाया जा सकेगा।