वित्तीय सुधारों के विस्तृत पैकेज का हिस्सा होना चाहिए बैंकों का पुनर्पूंजीकरण: IMF

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Mar, 2018 04:19 AM

reinvestment of banks should be part of the package of financial reforms

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पी.एस.बी.) का पुनर्पूंजीकरण वित्तीय सुधारों के विस्तृत पैकेज का एक हिस्सा होना चाहिए ताकि गैर-निष्पादित संपत्तियों (एन.पी.ए.) के समाधान में तेजी लाई जा सके। आई.एम.एफ. का...

वाशिंगटन: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पी.एस.बी.) का पुनर्पूंजीकरण वित्तीय सुधारों के विस्तृत पैकेज का एक हिस्सा होना चाहिए ताकि गैर-निष्पादित संपत्तियों (एन.पी.ए.) के समाधान में तेजी लाई जा सके। 

आई.एम.एफ. का मानना है कि भारत के बैंकिंग और कार्पोरेट क्षेत्र में उपजी कमजोरियों को दूर करने के लिए हाल में उठाए गए नीतिगत कदम महत्वपूर्ण हैं। आई.एम.एफ. के उप-प्रबंध निदेशक ताओ झांग ने भारत यात्रा से पहले यह बात कही। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा दिसम्बर, 2015 में शुरू की गई परिसंपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा ने बैंकों को सभी एन.पी.ए. संपत्तियों को पहचानने और मार्च, 2017 तक बही खातों में उपयुक्त प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पुनर्पूंजीकरण जैसे कदम भी उठाए गए हैं। 

एसोचैम-क्रिसिल के हाल के अध्ययन के मुताबिक भारत का सर्कल घरेलू एन.पी.ए. मार्च अंत में बढ़कर 9.5 लाख करोड़ रुपए हो गया जो कि एक साल पहले इसी अवधि में 8 लाख करोड़ पर था। झांग ने अरबपति हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी के मामले से जुड़े सवाल पर जवाब नहीं दिया। मोदी और चोकसी पर पंजाब नैशनल बैंक के साथ 2 अरब डॉलर की धोखाधड़ी का आरोप है। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत की वित्तीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाने और मजबूत करने के लिए संस्थानों के प्रयास का समर्थन करते हैं।’’ 

शीर्ष अधिकारी ने कहा कि हाल ही में विशेषज्ञों के एक समूह ने आई.एम.एफ./विश्व बैंक वित्तीय प्रणाली स्थिरता मूल्यांकन कार्यक्रम (एफ.एस.ए.पी.) में भारत की भागीदारी के संदर्भ में एक आकलन किया है। आई.एम.एफ. का मानना है कि भारत अब नोटबंदी तथा वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) की वजह से पैदा हुई ‘अड़चनों’ से बाहर आ रहा है। इसके साथ ही आई.एम.एफ. ने कहा कि भारत को अब शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सुधारों पर ध्यान देना चाहिए तथा बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली की दक्षता को सुधारना चाहिए।

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