Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jun, 2017 05:01 PM
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि डूबे कर्ज की चिंताजनक स्थिति से निपटने का..
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि डूबे कर्ज की चिंताजनक स्थिति से निपटने का काम अभी चल रहा है। इस बारे में हाल में पारित गैर निष्पादित आस्तियां (एन.पी.ए.) अध्यादेश के तहत अगले कुछ दिन में ऐसी कार्रवाई की जा सकती है जो दिखेगी।
रिजर्व बैंक को है यह अधिकार
बैंकिंग नियमन कानून, 1949 में संशोधन के जरिए यह अध्यादेश पिछले महीने जारी किया गया। इसके तहत रिजर्व बैंक को एन.पी.ए. या डूबे कर्ज के मुद्दे से निपटान के लिए सशक्त किया गया है। इस अध्यादेश के जरिए सरकार ने रिजर्व बैंक को यह अधिकार दिया है कि वह बैंकों को डूबे कर्ज की वसूली के लिए दिवाला कार्रवाई शुरू करवा सकता है। इसके साथ ही एन.पी.ए. संकट से निपटने के लिए और उपायों का भी वादा किया गया है।
NPA से निपटने का कार्य जारी
जेतली ने मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर मीडिया से बातचीत में कहा, ‘‘रिजर्व बैंक मौजूदा व्यवस्था के तहत कदम उठा रहा है। हमने एक और कदम आगे बढ़ाया है। आने वाले दिनों में इस मोर्चे पर कुछ प्रत्यक्ष रूप से सामने आ सकता है।’’ डूबे कर्ज के उंचे स्तर को एक प्रमुख चुनौती बताते हुए जेतली ने कहा कि एन.पी.ए. के निपटान को लेकर अभी कार्य प्रगति पर है।
2016-17 में NPA 6.06 लाख करोड़ रुपए
उन्होंने कहा कि एन.पी.ए. के उंचे स्तर से बैंकिंग प्रणाली की वृद्धि को समर्थन की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। वित्त वर्ष 2016-17 की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एन.पी.ए. एक लाख करोड़ रुपए बढ़कर 6.06 लाख करोड़ रुपए हो गया। मार्च, 2016 के अंत तक सरकारी बैंकों का सकल एन.पी.ए. लगभग दोगुना होकर 5.02 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। मार्च, 2015 के अंत तक यह 2.67 लाख करोड़ रुपए था।