GST लागू होने से पहले संशोधित विदेश व्यापार नीति होगी जारी: निर्मला

Edited By ,Updated: 06 May, 2017 07:26 PM

revised mid term foreign trade policy to be announced before july 1  sitharaman

वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि एक जुलाई को वस्तु  एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) व्यवस्था लागू होने से कुछ दिन पहले ही संशोधित विदेशी व्यापार नीति (एफटीपी) जारी कर दी जाएगी।

नई दिल्लीः वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि एक जुलाई को वस्तु  एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) व्यवस्था लागू होने से कुछ दिन पहले ही संशोधित विदेशी व्यापार नीति (एफटीपी) जारी कर दी जाएगी। निर्यातकों सहित विभिन्न संबद्ध पक्षों के साथ बैठक करने के बाद वाणिज्य मंत्री ने कहा कि वर्ष 2020 के लिए 900 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को कम करने के बारे कोई सुझाव नहीं दिया गया है। यह बैठक वर्ष 2015 से 2020 की विदेश व्यापार नीति की मध्यकालिक समीक्षा के लिए बुलाई गई थी। मौजूदा आर्थिक और भू-राजनीतिक स्थिति को देखते हुए इस तरह की चिंता व्यक्त की जा रही है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर इसका असर होगा।   

निर्मला ने कहा कि इस तरह के भी सुझाव दिए गए कि एफटीपी की समीक्षा को एक जुलाई से पहले पूरा कर लिया जाना चाहिए ताकि इसे जी.एस.टी. क्रियान्वयन के साथ जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह सुझाव बेहतर लगा कि नीति की समीक्षा समय रहते होनी चाहिए ताकि जी.एस.टी. लागू होने के साथ ही यह काम भी पूरा कर लिया जाए। इसका मतलब यह हुआ कि मुझे इसकी घोषणा एक जुलाई से पहले कर लेनी चाहिए।’’ 

निर्मला ने आगे कहा कि जी.एस.टी. परिषद के लिए कुछ खास सुझाव और सवाल हैं। वित्त मंत्री अरुण जेतली की अध्यक्षता वाली जी.एस.टी. परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। वाणिज्य सचिव सहित मंत्रालय की एक टीम जी.एस.टी. परिषद से कुछ मुद्दों को लेकर मिलना चाहती है। इसमें निर्यातकों को शुल्क रिफंड का मुद्दा भी शामिल है।  

विशेष तौर से लघु, मध्यम उद्योग क्षेत्र के निर्यातकों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि उनका धन कई महीनों के लिये नई प्रणाली में फंस सकता है। बहरहाल, जी.एस.टी. नियमों के मुताबिक 90 प्रतिशत रिफंड 7 दिनों में कर दिया जाएगा जबकि शेष 10 प्रतिशत 4 से 5 माह में जारी किया जाएगा। एसएमई निर्यातकों ने चिंता जताई है कि उनका धन लंबे समय के लिए अटक जाएगा। बैठक के दौरान यह भी सुझाव दिया गया कि हमें रुपए में किए जाने वाले निर्यात बाजारों को भी तलाशना चाहिए। विशेषतौर से दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और पश्चिम एशियाई देशों के बाजारों में इसकी संभावनायें तलाशी जानी चाहिए। विदेशी व्यापार नीति की समीक्षा में यह भी सुझाव सामने आया कि नीति का ध्यान केवल निर्यात पर ही नहीं बल्कि आयात पर भी होना चाहिए। 

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