Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jun, 2017 11:49 AM
कतर की ईरान से नजदीकियों के चलते कतर के पर कतर दिए गए। मीडिल ईस्ट 7 देशों ने कतर का बहिष्कार कर दिया और ईरान में बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक दबाव से ईरान को चावल निर्यात एक बार फिर प्रभावित होता दिखाई दे रहा है।
नई दिल्लीः कतर की ईरान से नजदीकियों के चलते कतर के पर कतर दिए गए। मीडिल ईस्ट 7 देशों ने कतर का बहिष्कार कर दिया और ईरान में बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक दबाव से ईरान को चावल निर्यात एक बार फिर प्रभावित होता दिखाई दे रहा है। हालांकि ईरान में पैदा हुए हालात भारत के चावल निर्यातकों के लिए फायदेमंद साबित होते क्योंकि ईरान अपने खाद्यान्न को स्टोर करने पर भी जोर दे रहा है लेकिन ईरान कंपनियों पर काले बादल छाते दिखाई दे रहे हैं और पेमेन्ट को लेकर एक बार फिर साल 2011-12 जैसे संकट पैदा हो रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भले ही चावल निर्यातकों की टोली ईरान में जाकर अपनी तस्वीर चमकाने का काम करके आई और ईरान आज भी भारत के चावल निर्यातकों के लिए एक बड़ा खरीददार है लेकिन चावल निर्यातक एक बार फिर अपनी पेमेन्ट्स को लेकर चिंता में दिखाई देने लगे हैं। चावल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक चावल बाजार एक बार फिर गिरावट दिखला सकता है। अमरीका और ईरान में बढ़ते तनाव के चलते और राजनीतिक दूरियां पैदा होने के चलते ईरान का बाजार नकारात्मकता के दृष्टिकोण से देखा जाने लगा है। ईरान के कारोबारी भी ईरान में चल रही स्थितियों से खुश नहीं हैं उनके मुताबिक ईरान में हालात ठीक नहीं होने के चलते इसका असर उनके कारोबार पर पड़ रहा है।