SC ने सहारा की आंबी वैली नीलाम करने का HC के रिसीवर को निर्देश दिया

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 05:36 PM

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उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के आधिकारिक रिसीवर को वीरवार को निर्देश दिया कि वह सहारा की आंबी वैली संपत्ति की नीलामी में परिसमापक की मदद करे। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की तीन ...

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय के आधिकारिक रिसीवर को वीरवार को निर्देश दिया कि वह सहारा की आंबी वैली संपत्ति की नीलामी में परिसमापक की मदद करे।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के आधिकारिक परिसमापक से भी कहा कि वह इस मामले में रिसीवर की मदद लें और यह सुनिश्चित करें कि आंबी वैली की संपत्तियों की नीलामी हो जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम चाहते हैं कि संपत्ति की नीलामी हो। उस समय तक, हम बंबई उच्च न्यायालय के रिसीवर को नीलामी का काम पूरा होने तक के लिए इसमें मदद के लिए नियुक्त करते हैं।’’ पीठ ने आधिकारिक परिसमापक को निर्देश दिया कि वह उच्च न्यायालय या फिर कंपनी न्यायाधीश से निर्देश प्राप्त करें।

इस आधिकारिक परिसमापक को नीलामी कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सहारा समूह ने इससे पहले 24,000 करोड रुपए के मूलधन में से शेष करीब नौ हजार करोड रुपए के भुगतान के लिए 18 महीने का समय देने का अनुरोध किया था।

शीर्ष अदालत ने आंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया में सहारा समूह द्वारा कथित रूप से अडंगा डालने पर 12 अक्तूबर को कडी आपत्ति की थी ओर उसे चेतावनी दी थी कि जो कोई भी इसमें बाधा डालेगा वह अवमानना की कार्यवाही का हकदार होगा और उसे जेल भेज दिया जाएगा। शीर्ष अदालत उस समय इस बात से नाराज हो गई जब सेबी ने दावा किया था कि सहारा समूह ने इस संपत्ति के मामले में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए पुणे पुलिस को एक पत्र लिखकर नीलामी प्रक्रिया में कथित रूप से बाधा डालने का प्रयास किया है।

समूह के मुखिया सुब्रत राय करीब दो साल तक तिहाड जेल में बंद थे और उन्हें पिछले साल छह मई को अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पैरोल पर रिहा किया गया था। इसके बाद से उनकी पैरोल की अवधि बढाई जाती रही है।

सुब्रत राय के अलावा दो निदेशक रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी भी समूह की सहारा इंडिया रियल एस्टेट कार्पोरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कार्प लि के शीर्ष अदालत के 31 अगस्त, 2012 के आदेश पर अमल करने में विफल रहने के कारण जेल भेज दिए गए थे। इन्हें निवेशकों का 24000 करोड रुपए लौटाने के न्यायिक आदेश पर अमल करने में विफल रहने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था। 

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