Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Oct, 2017 02:41 PM
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) का कहना है कि भारत के संदर्भ में जब अपर्याप्त और असमान सार्वजनिक व्यय के विकल्प.....
वाशिंगटनः अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) का कहना है कि भारत के संदर्भ में जब अपर्याप्त और असमान सार्वजनिक व्यय के विकल्प की बात आती है तो सार्वभौमिक बुनियादी आय का एक ‘बेहतर विकल्प प्रतीत होता’ है। आई.एम.एफ. का कहना है कि वर्तमान में कई देश अपनी बेरोजगार आबादी को एक निश्चित सार्वभौमिक बुनियादी आय (यू.बी.आई.) देने के विकल्प पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। यू.बी.आई. का मतलब किसी देश में लक्षित आबादी में सभी व्यक्तियों को एक समान नकद राशि उपलब्ध कराना है। आई.एम.एफ. ने भारत में विभिन्न प्रकार की सब्सिडी योजनाओं और यू.बी.आई. को लेकर नमूने के तौर पर एक प्रयोग किया।
आई.एम.एफ. ने इसमें भारत में 2011 में प्रचलित विभिन्न सब्सिडी योजनाओं को शामिल किया। इस प्रयोग में उन योजनाओं को शामिल किया गया जो कि उसके विचार से भारतीय जनता की महत्वपूर्ण आवश्कताओं तक पहुंच सुनिश्चित करती हैं। ईंधन सब्सिडी को भी इसमें शामिल किया गया। आई.एम.एफ. में राजकोषीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने कहा कि और हमारे इस प्रयोग में हमने पाया कि यदि 2011 की सब्सिडी योजनाओं को यू.बी.आई. कार्यक्रम के तौर पर अपनाया गया होता तो उसी बजट में इसका गरीबों को ज्यादा फायदा मिल सकता है। गैस्पर ने कहा कि जिन देशों में लक्षित लाभ अंतरण योजनाएं ज्यादा हैं वहां यू.बी.आई. यानी सार्वभौमिक बुनियादी आय की योजना एक बेहतर विकल्प के तौर पर दिखती है।