Edited By ,Updated: 18 May, 2017 11:30 AM
देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील का विलय प्रतिद्वंद्वी कंपनी फ्लिपकार्ट में करने का प्रस्ताव अगर परवान चढ़ता है
नई दिल्लीः देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी स्नैपडील का विलय प्रतिद्वंद्वी कंपनी फ्लिपकार्ट में करने का प्रस्ताव अगर परवान चढ़ता है तो साल भर के भीतर स्नैपडील आपकी यादों में ही रह जाएगी। स्नैपडील की प्रमुख निवेशक जापान की कंपनी सॉफ्टबैंक है जो जोर शोर से उसे फ्लिपकार्ट में मिलाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बेंगलूरु की कंपनी फ्लिपकार्ट के कर्ताधर्ता कह रहे हैं कि वे किसी भी प्रतिद्वंद्वी ई-कॉमर्स कंपनी को अपनी छत्र छाया में नहीं रखना चाहते।
यह बात अलग है कि टाइगर ग्लोबल के निवेश वाली फ्लिपकार्ट ने मिंत्रा, जबॉन्ग और फोनपे का अधिग्रहण करने के बाद भी उनकी स्वतंत्र पहचान बनी रहने दी है। इस बारे में फ्लिपकार्ट और स्नैपडील को ईमेल से प्रश्न भेजे गए, लेकिन उनका जवाब नहीं आया। स्नैपडील का बोर्ड जैसे ही गैर बाध्यकारी शर्त पर दस्तखत करेगा वैसे ही गुडग़ांव की इस कंपनी के खात्मे की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी। सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की अगुआई वाली कंपनी की योजना स्नैपडील ब्रांड को बनाए रखने की नहीं है।
स्नैपडील के संस्थापक कुणाल बहल और रोहित बंसल कंपनी के 1,200 कर्मचारियों को विलय के बाद बनने वाली कंपनी में बनाए रखने के लिए सॉफ्टबैंक के साथ बात कर रहे हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि संस्थापकों को कुछ ही महीनों की मोहलत पाएगी। उसके बाद कर्मचारियों को निकाला जा सकता है और कंपनी को बंद किया जा सकता है। ई-कॉमर्स क्षेत्र में अधिग्रहीत की गई कंपनियों को बंद करना कोई नई बात नहीं है।