CPEC के कारण बड़े कर्ज के जाल में फंस सकते हैं दक्षिण एशियाई देश!

Edited By ,Updated: 03 May, 2017 05:11 PM

south asian countries may be trapped in large debt trap

चीन का मैगा ग्लोबल कनैक्टिविटी प्रोजैक्ट ‘वन बैल्ट वन रोड’ (ओ.बी.ओ.आर.) दक्षिण एशिया के देशों के लिए बड़ी आर्थिक मुश्किलें पैदा...

नई दिल्ली: चीन का मैगा ग्लोबल कनैक्टिविटी प्रोजैक्ट ‘वन बैल्ट वन रोड’ (ओ.बी.ओ.आर.) दक्षिण एशिया के देशों के लिए बड़ी आर्थिक मुश्किलें पैदा कर सकता है। इस प्रोजैक्ट के जरिए चीन को जमीन और समुद्र के जरिए दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य एशिया से होकर यूरोप से जोड़ने की योजना है। इस प्रोजैक्ट के तहत श्रीलंका में प्रोजैक्ट्स पर चीन के कर्जदाता ज्यादा ब्याज वसूल रहे हैं। उधर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर पर 50 अरब डॉलर के खर्च से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।

सूत्रों के अनुसार 14-15 मई को होने वाली इंटरनैशनल मीटिंग में इस प्रोजैक्ट को औपचारिक तौर पर मंजूरी मिल सकती है। इस मीटिंग में 28 देशों के नेता हिस्सा लेंगे जिनमें श्रीलंका के प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे। श्रीलंका अपने देश में चीन की फंडिंग वाले प्रोजैक्ट्स की अनुमति देने से पहले ही भारी कर्ज में है। श्रीलंका में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजैक्ट्स के लिए चीन के कर्जदाता ऊंची ब्याज दर वसूल रहे हैं और इससे श्रीलंका को बड़ा वित्तीय नुक्सान हो रहा है। ये सभी प्रोजैक्ट अब ओ.बी.ओ.आर. का हिस्सा होंगे। बताते चलें कि बंगलादेश इस मीटिंग में शामिल नहीं हो रहा है जबकि नेपाल ने इसमें राष्ट्रपति की जगह उपप्रधानमंत्री को भेजने का फैसला किया है।

बेहतर नहीं है पाकिस्तान की स्थिति भी 
पाकिस्तान की स्थिति भी बेहतर नहीं है क्योंकि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए खर्च हो रही 50 अरब डॉलर से अधिक की रकम के कारण पहले से खस्ताहाल पाकिस्तान की इकोनॉमी के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इन प्रोजैक्ट्स के लिए दिए गए कर्ज को इक्विटी में बदला जा रहा है जिससे चीनी कंपनियों को इनका मालिकाना हक मिल जाएगा।

चीन को अभी कर्ज चुकाने में नाकाम श्रीलंका 
श्रीलंका का चीन के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ने को लेकर एक्सपटर्स ने चिंता जताई है। चीन ने 1971 से 2012 के बीच श्रीलंका को 5 अरब डॉलर से अधिक रकम उपलब्ध कराई है और इसमें से अधिकांश का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में हुआ है। चीन ने श्रीलंका में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए भारी कर्ज दिया है। श्रीलंका का अनुमानित कर्ज 64.9 अरब डॉलर का है और इसमें से 8 अरब डॉलर चीन ने दिए हैं। श्रीलंका अपनी धीमी इकोनॉमिक ग्रोथ के कारण चीन को अभी कर्ज चुकाने में नाकाम है। इससे संकट से निपटने के लिए श्रीलंका सरकार ने अपने डेट को इक्विटी में तबदील करने पर सहमति दी है। इससे इन प्रोजैक्ट्स पर आखिरकार चीन को मालिकाना हक मिल सकता है।

OBOR प्रोजैक्ट का हिस्सा बनेगा नेपाल
सूत्रों के अनुसार चीन अपने महत्वाकांक्षी प्रोजैक्ट ओ.बी.ओ.आर. पर तेजी से काम कर रहा है और नेपाल जल्द ही इस प्रोजैक्ट का हिस्सा बनने वाला है। इसके अलावा नेपाल और चीन एक-दूसरे को रेल नैटवर्क से जोडऩे के लिए समझौते पर भी जल्द हस्ताक्षर करने वाले हैं। चीन जिस तरह से नेपाल पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है उससे भारत की चिंताएं बढ़ सकती हैं।

भारत को भी OBOR का हिस्सा बनाना चाहता है चीन
दरअसल चीन चाहता है कि भारत भी उसके ओ.बी.ओ.आर. प्रोजैक्ट का हिस्सा बने लेकिन भारत इसे लेकर सावधानी बरत रहा है। इसकी खास वजह यह है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरने वाला चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सी.पी.ई.सी.) भी ओ.बी.ओ.आर. का हिस्सा है। सी.पी.ई.सी. के खिलाफ लगातार विरोध दर्ज कर रहा है। भारत की नजर में यह कॉरिडोर संप्रभुता के सवाल को चुनौती देने वाला है।

अमरीका से दूर हो रहा है पाकिस्तान
समय के साथ-साथ जहां अमरीका और पाकिस्तान के रिश्ते कमजोर हुए वहीं चीन ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते मजबूत करना जारी रखा। निवेश की बात करें तो सैंट्रल बैंक के डाटा के मुताबिक पाकिस्तान में अमरीका ने जुलाई 2013 से जनवरी 2017 के बीच 505 मिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष निवेश किया, वहीं चीन ने 1.82 बिलियन डॉलर पाकिस्तान में निवेश किए।

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