राज्य चाहें तो सस्ते घरों पर घट सकता है GST का बोझ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Aug, 2017 10:50 AM

state wants to reduce the burden of gst on cheap houses

पूरे रियल एस्टेट सैक्टर को 12 फीसदी के एक ही स्लैब में डालने से किफायती घरों...

नई दिल्ली: पूरे रियल एस्टेट सैक्टर को 12 फीसदी के एक ही स्लैब में डालने से किफायती घरों को मिल रहे सर्विस टैक्स छूट का फायदा खत्म हो गया है। डिवैल्पर्स और बायर्स समूहों की ओर से अर्फोडेबल हाऊसिंग को लोअर स्लैब में डालने की मांग बढ़ती जा रही है, जिस पर केंद्र सरकार का रुख सकारात्मक है। हालांकि अब तक पूरा वैट वसूलते आ रहे राज्यों को इसमें अपना नुक्सान दिख रहा है तथा वे अर्फोडेबल हाऊसिंग के लिए एक और जी.एस.टी. रेट का विरोध कर रहे हैं। नैशनल रियल एस्टेट डिवैल्पमैंट काऊंसिल के प्रधान प्रवीण जैन ने बताया कि सभी पुराने करों के जी.एस.टी. में समाहित होने और 12 फीसदी का एक ही रेट लगने से वैसे तो इंडस्ट्री पर टैक्स का बोझ घटा है, लेकिन अर्फोडेबल हाऊसिंग सैगमैंट में काम कर रहे बिल्डर और उपभोक्ता संगठन इसे लेकर विरोध जता रहे हैं।
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उन्होंने बताया कि जी.एस.टी. से पहले रियल एस्टेट पर 4.5 पर्सैंट सर्विस टैक्स लगता था, लेकिन अर्फोडेबल सैगमैंट (60 वर्गमीटर तक कारपेट एरिया) को इससे छूट मिली हुई थी। अब तक केंद्र सरकार ने संकेत दिए हैं कि उसे इस सैगमैंट को लोअर स्लैब में डालने पर कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि पहले भी वह छूट दे ही रही थी। लेकिन राज्यों को लगता है कि अगर इसे 5 पर्सैंट स्लैब में डाल दिया गया तो आधी टैक्स हिस्सेदारी के बाद उनका राजस्व पहले मिल रहे वैट के मुकाबले घट जाएगा। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे इंडस्ट्री में यह मांग जोर पकड़ेगी, आम आदमी के हितों को ध्यान रखते हुए राज्य भी इस पर विचार कर सकते हैं।

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