Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Oct, 2017 04:33 PM
शराब प्रतिबंध का दायरा बढऩे के साथ देश के पर्यटन उद्योग के लिए खतरा पैदा हो रहा है।
नई दिल्लीः शराब प्रतिबंध का दायरा बढऩे के साथ देश के पर्यटन उद्योग के लिए खतरा पैदा हो रहा है। ऐसे में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कान्त ने आज कहा कि यह तय करना राज्यों का काम नहीं है कि पर्यटकों को क्या पीना और क्या खाना चाहिये। विश्व आर्थिक मंच के भारत आॢथक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कान्त ने कहा, ‘‘राज्यों को इस मामले में नहीं पडऩा चाहिये कि पर्यटक क्या खाना चाहता है और क्या पीना चाहता है।
ऐसा नहीं हो सकता है वह क्या खाना या पीना चाहते हैं, यहा उनका निजी मामला है, यह राज्यों का काम नहीं है।’’उनसे पूछा गया था कि क्या बीफ और शराब पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य यह नहीं समझ पाए हैं कि दुबई क्यों इतना शानदार प्रदर्शन करता है। जिस देश को भी पर्यटकों की जरूरत है तो वह उन्हें सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ चीजों को मैं लंबे समय से मानता हूं। ऐसा नहीं हो सकता है कि आप कूड़ा कचरा रखें और साथ ही कहें कि हमारे पास काफी ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। ऐसे में भारत को स्वच्छता पर ध्यान देने की जरूरत है। यह निश्चित रूप से पहले नंबर पर होना चाहिए। नंबर दो बिना किसी बाधा के बेहतर अनुभव प्रदान करना है।
कम से कम चार राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल और दमन ने शराब की बिक्री पर रोक लगाने की योजना बनाई है वहीं गुजरात, बिहार, नगालैंड और मणिपुर में शराब पहले से प्रतिबंधित हैं। भारत में व्हिस्की की बिक्री दुनिया में सबसे अधिक है। इसकी वजह से कई सामाजिक बुराइयां पैदा हुई हैं। इसके अलावा इन राज्यों का कहना है कि दुर्घटनाओं की एक प्रमुख वजह शराब पीकर गाड़ी चलाना है। यह पूछे जाने पर क्या उन्होंने राजनीतिक नेतृत्व को अपने इन विचारों से अवगत कराया है, कान्त ने कहा कि मैंने हमेशा कहा है कि पर्यटकों के वास्ते बेहतर अनुभव का सृजन होना चाहिए।