IPO के जरिए जुटाई गई राशि के उपयोग पर नजर रखेगी निगरानी समिति

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jun, 2017 12:40 PM

stricter monitoring of ipo proceeds by small firms

सेबी ने आरंभिक र्सावजनिक निर्गम (आई.पी.आे.) के जरिए जुटाए गए कोष के किसी भी प्रकार के दुरूपयोग को रोकने के लिए कदम उठाया है।

नई दिल्लीः सेबी ने आरंभिक र्सावजनिक निर्गम (आई.पी.आे.) के जरिए जुटाए गए कोष के किसी भी प्रकार के दुरूपयोग को रोकने के लिए कदम उठाया है। इसके तहत बाजार नियामक ने शेयर बिक्री के जरिए 100 करोड़ रुपए से अधिक जुटाने वाली कंपनियों के लिए निगरानी एजेंसी नियुक्त करने को अनिवार्य कर दिया है ताकि पूंजी के उपयोग पर नजर रखी जा सके।  

सेबी ने एक अधिसूचना में निगरानी एजेंसी नियुक्त किए जाने को अनिवार्य किया है जहां निर्गम का आकार 100 करोड़ रुपए से अधिक है। मौजूदा नियमों के तहत इस प्रकार की निगरानी एजेंसी उन्हीं कंपनियों को नियुक्त करने की आवश्यकता थी जिन्होंने सार्वजनिक निर्गम के जरिए 500 करोड़ रुपए से अधिक जुटाया है। ये निगरानी एजेंसियां बैंक या सार्वजनिक वित्तीय संस्थान हो सकते हैं। इसके अलावा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बड़े गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को पात्र संस्थागत खरीदारों (क्यूआईबी) के लिए आरक्षित कोटा के लिए पात्रता की अनुमति दे दी है। इसके साथ उन्हें बैंकों तथा बीमा कंपनियों के समरूप लाया गया है। इससे आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आई.पी.आे.) बाजार को मजबूती मिलने की उम्मीद है। इस संदर्भ में सेबी के निदेशक मंडल ने प्रस्तावों को अप्रैल में मंजूरी दी। 
 

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