गन्ना किसानों के बकाए पर 8 नवंबर को यूपी सरकार देगी जवाब

Edited By ,Updated: 30 Oct, 2016 02:43 PM

sugarcane  uttar pradesh

गन्ना किसानों और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच बकाया भुगतान पर ब्याज का मामला अब हाई कोर्ट में अंतिम दौर में पहुंच गया है। इस मामले में हाई कोर्ट में 8 नवंबर

नई दिल्‍लीः गन्ना किसानों और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच बकाया भुगतान पर ब्याज का मामला अब हाई कोर्ट में अंतिम दौर में पहुंच गया है। इस मामले में हाई कोर्ट में 8 नवंबर को उत्तरप्रदेश सरकार और यूपी शुगर मिल एसोसिएशन को जवाब देना है। इसके पहले किसानों का पक्ष कोर्ट ने सुन लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार शुगर मिल कंपनियों को राहत देने के लिए पिछले तीन साल में 2000 करोड़ रुपए का ब्याज भुगतान माफ कर चुकी है। सरकार के इस फैसले को राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी.एम.सिंह ने याचिका दायर की हुई है।

वीएम सिंह ने याचिका के माध्‍यम से कहा है कि राज्‍य सरकार को गन्‍ना बकाया पर ब्‍याज माफ करने का अधिकार नहीं है। इसके लिए उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्‍न निर्णयों को भी कोर्ट में बताया। मिलों द्वारा गन्‍ना बकाया पर 15 फीसदी ब्‍याज का भुगतान करने में कोई बाधा नहीं है। शुगरकेन कंट्रोल ऑर्डर, 1966 के तहत मिलों द्वारा बकाया भुगतान में 14 दिन से अधिक देरी पर ब्‍याज का प्रावधान है। राज्‍य सरकार ने मई 2015 को 2012-13 और 2013-14 के लिए गन्‍ना बकाया पर 1300 करोड़ रुपए ब्‍याज की रकम माफ कर दी थी। मिल मालिकों ने राज्‍य सरकार से अनुरोध किया था कि वे गन्‍ना बकाए के भुगतान में देरी पर ब्‍याज देने की स्थिति में नहीं हैं क्‍योंकि चीनी की कीमतें घटने के कारण उनको नुकसान हुआ है। 26 सितंबर 2016 को राज्‍य सरकार ने एक बार फिर 2014-15 के लिए गन्‍ना बकाया पर 700 करोड़ का ब्‍याज माफ कर दिया।

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