टाटा-अदाणी की उम्मीदों को झटका, मुंद्रा पर राहत नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jun, 2017 12:47 PM

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गुजरात सरकार के रुख से टाटा पावर और अदाणी पावर की उम्मीदों को झटका लग सकता है।

नई दिल्लीः गुजरात सरकार के रुख से टाटा पावर और अदाणी पावर की उम्मीदों को झटका लग सकता है। दोनों कंपनियां घाटे में चल रही अपनी बिजली परियोजना में हिस्सा बेचना चाह रही हैं लेकिन गुजरात सरकार ने कहा कि फिलहाल इन परियोजनाओं में हिस्सा लेने को वह इच्छुक नहीं है। दूसरी ओर केंद्र ने इस विवाद से खुद को अलग करते हुए कहा कि यह राज्य और केंद्र का मामला है।

बोर्ड ने नहीं की इस बारे में कोई चर्चा
टाटा पावर ने अपनी 4,000 मेगावॉट की मुंद्रा अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना में 51 फीसदी हिस्सा बेचने के लिए गुजरात ऊर्जा विकास निगम (जी.यू.वी.एन.एल.) से इस हिस्सेदारी की पेशकश की थी। इसी तरह के सौदे की आकांक्षा अदाणी पावर और एस्सार पावर ने भी की है और आयातित कायेला आधारित अपनी परियोजनाओं के लिए सरकार से संपर्क किया था। जी.यू.वी.एन.एल. के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि टाटा और अदाणी की पेशकश के संबंध में बोर्ड में कोई चर्चा नहीं हुई है।जी.यू.वी.एन.एल. के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने अभी इस बारे में न तो कोई चर्चा की है और न ही कोई निर्णय किया है। इस बारे में सरकार से भी कोई संकेत नहीं मिला है।'
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बैंक द्वारा ही लिया जाएगा निर्णय
जी.यू.वी.एन.एल. के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रबंधन का इसे लेकर कोई खास दृष्टिकोण नहीं है। उन्होंने कहा, 'हमने कभी इस बारे में विचार भी नहीं किया और न ही इस दिशा में फिलहाल कोई काम कर रहे हैं।' केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस मामले में केंद्र की कोई भूमिका या जिम्मेदारी नहीं है और न ही इसमें दखल देने का कोई इरादा है। एक अधिकारी ने कहा, 'हमने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। राज्य और बैंक को यह मसला सुलझाना है और अगर उन्हें बातचीत में मध्यस्थता की जरूरत हुई तो केंद्र सरकार उसमें मदद कर सकती है।' एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'बैंकों ने उन्हें कर्ज दिया है और यह उनकी जिम्मेदारी थी कि कर्ज देते समय वे जांच-पड़ताल करते। केंद्र इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। इस बारे में कोई भी निर्णय बैंक द्वारा ही लिया जाएगा।'
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क्या है मामला
बता दें कि यह मामला टाटा पावर की मुंद्रा में 4,000 मेगावॉट यू.एम.पी.पी. और अदाणी पावर के 1980 मेगावॉट की बिजली परियोजना से जुड़ा हुआ है। उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल, 2017 में इन दोनों कंपनियों को किसी भी तरह के मुआवजा राहत देने से इनकार कर दिया था। इन कंपनियों ने आयातित कोयले की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के एवज में शुल्क प्रतिपूर्ति की मांग की थी।

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