Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Dec, 2017 10:28 AM
जापान की 3 कम्पनियां जिनको भारत की अलग-अलग कम्पनियों के साथ सांझे तौर पर काम करने का कड़वा तजुर्बा हुआ था, ने फिर से अपने पुराने पार्टनरों के साथ ही दोस्ती बढ़ाने का फैसला किया है। जापान की इन 3 कम्पनियों में सबसे प्रसिद्ध कम्पनी डोकोमो है जिसने...
नई दिल्लीः जापान की 3 कम्पनियां जिनको भारत की अलग-अलग कम्पनियों के साथ सांझे तौर पर काम करने का कड़वा तजुर्बा हुआ था, ने फिर से अपने पुराने पार्टनरों के साथ ही दोस्ती बढ़ाने का फैसला किया है। जापान की इन 3 कम्पनियों में सबसे प्रसिद्ध कम्पनी डोकोमो है जिसने टाटा के साथ हिस्सेदारी डाल कर भारत में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। अब इस कम्पनी ने फिर से टाटा के साथ ही याराना डाल कर भारत में ‘टाटा डोकोमो’ के नाम से ही काम करने का फैसला किया है।
2 और जापानी कम्पनियां भी जुड़ने को तैयार
दूसरी 2 कम्पनियों में डायची और रिकोह हैं। तीनों ही कम्पनियां भारत में फिर से निवेश कर रही हैं। जहां डायची और रिकोह को अपनी हिस्सेदार भारतीय कम्पनियों के कारण अलग-अलग किस्म के धोखों का सामना करना पड़ा वहीं डोकोमो को इसलिए टाटा का साथ छोडऩा पड़ा था क्योंकि उसके टैलीकॉम ‘जे वी’ की कारगुजारी बहुत मंदी हो गई थी।
अमरीकी फर्मों के पैर पसारने से जापानी कम्पनियों ने खींचे कदम
बी.सी.ए. इन्वैस्टमैंट्स जापान के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर अकीनोरी निमी ने कहा कि जापानी कम्पनियों ने टाटा सहित अलग-अलग भारतीय कम्पनियों में बड़े स्तर पर निवेश किया परन्तु उनको सफलता नहीं मिली। जापानी मीडिया ने इस तरह का प्रभाव दिया कि भारत में जापानी कम्पनियों के लिए काम करना बहुत कठिन है परन्तु अब सब ठीक हो गया है। भारत में जापानी कम्पनियों द्वारा कदम पीछे खींचने का एक कारण यह भी था कि अमरीकी फर्में यहां अपने पैर पसार रही थीं।