नोटबंदी: तो इसलिए बाजार में देरी से 500 के नए नोट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 08:34 AM

that  s why 500 new notes from market delays

पिछले साल 8 नवम्बर को की गई नोटबंदी के 2 दिन बाद 2,000 रुपए के नए नोट बाजार में अच्छी-खासी संख्या में जारी किए गए थे

नई दिल्ली: पिछले साल 8 नवम्बर को की गई नोटबंदी के 2 दिन बाद 2,000 रुपए के नए नोट बाजार में अच्छी-खासी संख्या में जारी किए गए थे, लेकिन 500 रुपए के नोट को आने में लंबा वक्त लग गया जिसके कारण लाखों लोगों को कई दिनों तक परेशानी झेलनी पड़ी। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हुआ। इस मुद्दे से जुड़े एक शीर्ष अधिकारी के पास इस बात का जवाब मौजूद है।

जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी तब भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के पास 2,000 रुपए के नए नोटों का 4.95 लाख करोड़ का स्टॉक था, लेकिन उसके पास नए 500 रुपए का एक भी नोट नहीं था। इस नोट के बारे में बाद में सोचा गया। देश में नोट छापने के लिए 4 प्रिंटिंग प्रैस हैं। इनमें आर.बी.आई. की 2 प्रैस हैं, जो मैसूर (कर्नाटक) और सालबोनी (पश्चिम बंगाल) में हैं। इसके अलावा भारतीय प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लि. (एस.पी.एम.सी.आई.एल.) के 2 प्रिंटिंग प्रैस हैं, जो नासिक (महाराष्ट्र) और देवास (मध्य प्रदेश) में हैं।

प्रिंटिंग प्रैस में नोट छापने के लिए जो कागज डाला जाता है, वह उच्च संवेदी सिक्योरिटी थ्रैड से लैस होता है और 16 दिन बाद छपकर बाहर निकलता है लेकिन पहली बार देश में बने हुए कागज का इस्तेमाल 500 रुपए के नोट छापने में किया गया। यह कागज होशंगाबाद और मैसूर की पेपर मिल में विकसित किया गया लेकिन उनकी क्षमता 12,000 मीट्रिक टन सालाना है, जो पर्याप्त नहीं है और अभी भी इसके आयात की जरूरत पड़ती है। नासिक और देवास प्रैस की नोट छापने की संयुक्त क्षमता 7.2 अरब नोट सालाना की है जबकि आर.बी.आई. की मैसूर और सालबोनी प्रैस की संयुक्त क्षमता 16 अरब नोट सालाना छापने की है।

डिजाइन केवल मैसूर प्रैस के पास
एस.पी.एम.सी.आई.एल. हमेशा आर.बी.आई. द्वारा दिए गए ऑर्डर के मुताबिक नोटों की छपाई करती है लेकिन इस बार उसने आर.बी.आई. के आधिकारिक आर्डर के बिना ही नोटों की छपाई शुरू कर दी। 500 रुपए के नोट की डिजाइन नोटबंदी से पहले केवल आर.बी.आई. की मैसूर प्रैस के पास थी। देवास प्रैस में आर.बी.आई. के आधिकारिक आर्डर के बिना नवम्बर के दूसरे हफ्ते में और नासिक प्रैस में नवम्बर के चौथे हफ्ते में इसकी छपाई शुरू कर दी गई। हालांकि, इसकी छपाई आर.बी.आई. की प्रैस में पहले से की जा रही थी, लेकिन वह नोटबंदी के कारण बढ़ी मांग को पूरा नहीं कर पा रहा था।

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