ग्राहकों को बड़ी राहत देगा रियल एस्टेट सेक्टर का नया कानून

Edited By ,Updated: 24 Apr, 2017 12:43 PM

the new law is beneficial for those who buy houses in real estate sector

अगर आप मकान या फ्लैट खरीद रहे हैं तो 1 मई तक रूक जाइए। सरकार ने पिछले साल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए रेगुलेटर बनाने का एेलान किया। 1 मई से रियल एस्टेट रेगुलेशन और डेवलपमेंट एक्ट 2016 (रेरा) लागू हो रहा है।

नई दिल्लीः अगर आप मकान या फ्लैट खरीद रहे हैं तो 1 मई तक रूक जाइए। सरकार ने पिछले साल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए रेगुलेटर बनाने का एेलान किया। 1 मई से रियल एस्टेट रेगुलेशन और डेवलपमेंट एक्ट 2016 (रेरा) लागू हो रहा है।

जानकारों के मुताबिक रेरा के लागू होने से पारदर्शिता आएगी। रेरा से ग्राहकों के हितों की रक्षा तो होगी ही प्रोजैक्ट भी समय पर पूरे होंगे। रेरा कानून देश में रियल्टी सेक्टर की तस्वीर बदल देगा। इस कानून से ग्राहकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। इस कानून के तहत बिल्डर को ग्राहकों से ली गई रकम का 70 फीसदी एस्क्रो अकाऊंट में डालना होगा। ये कदम इसलिए उठाया गया है ताकि एक प्रोजैक्ट की रकम दूसरे प्रोजैक्ट में ट्रांसफर न की जा सके। 

अगर बिल्डर इन नियमों को नहीं मानेंगे तो उन पर पेनल्टी भी लगाई जा सकेगी। इसके अलावा हर राज्य में रेगुलेटरी संस्था और ट्रिब्यूनल बनाए जाएंगे। ये बिल्डर और ग्राहक के विवाद 120 दिन के भीतर सुलझाएंगे। प्रोमोटर्स बिना खरीदार की मर्जी से प्रोजेक्ट के ले आउट में बदलाव नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा कारपेट एरिया की परिभाषा सभी जगह एक जैसी होगी। 

एस्क्रो अकाऊंट 
किसी प्रोजैक्ट के लिए खरीदारों से मिला पैसा अब बिल्डर को एस्क्रो अकाऊंट में जमा करवाना होगा। ये रकम प्रोजैक्ट के हर चरण के मुताबिक निकाली जाएगी। इसको मंजूरी बिल्डर के इंजीनियर और चार्टड अकाऊंटेंट देंगे। इससे बिल्डर पैसे का दुरूउपयोग नहीं कर पाएगा। बिल्डर को अथॉरिटी की वैबसाइट पर प्रोजैक्ट की पूरी जानकारी डालनी होगी।

सिर्फ आपकी जगह की कीमत दें
खरीदार को सिर्फ कारपेट एरिया की कीमत ही देनी होगी। कारपेट एरिया मतलब आपके फ्लैट की दिवारों के भीतर का क्षेत्र। बिल्डर सुपर बिल्ट अप एरिया की कीमत नहीं वसूल पाएगा। अभी बिल्डर सुपर बिल्ट अप एरिया की कीमत भी वसूलते हैं। फिलहाल अगर ग्राहक 1300 वर्ग फुट का फ्लैट बुक करता है तो उसे 900 से 100 वर्ग फुट का फ्लैट मिलता है। बिल्डर कॉमन एरिया और बालकनी को भी इसमें जोड़कर कीमत वसूलता है।

5 साल की वारंटी
बिल्डर को बिल्डिंग की 5 साल की वारंटी देनी होगी। अगर बिल्डिंग में कोई ढांचागत गलती है तो उसे सुधारना होगा। कानून में इसको ठीक से परिभाषित नहीं किया गया है। इस कारण बिल्डर और खरीदार में विवाद हो सकता है।

बिल्डर की मर्जी से बदलाव नहीं
खरीदार आमतौर पर शिकायत करते हैं कि बिल्डर ने जो उनसे वादा किया वो उसे पजेशन के समय नहीं मिली। अंत में ग्राहक को लगता है कि उसके साथ धोखा हुआ है। रेरा के तहत इसको खत्म करने की कोशिश की गई। इसके तहत अगर बिल्डर अपने प्रोजैक्ट में किसी तरह का बदलाव करता है तो उसे खरीदारों की लिखित मंजूरी लेनी होगी। ऐसा करने से बिल्डर की मनमर्जी पर लगाम लगेगी। 
 

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