रेलवे के इतिहास में पहले बार, खत्म होंगे रेल के लाल, हरे सिग्नल!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 01:35 PM

the red  green signal of the rail will end

हाल में हुई रेल दुर्घटनाओं के मद्देनजर सरकार देश में मौजूदा सिग्नल प्रणाली को पूरी तरह बदलने पर विचार कर रही है। इस तरह लोकोमोटिव चालकों के लिए वर्षों से चल रही लाल और हरे सिग्नल की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। सरकार बजट में इसकी घोषणा कर सकती है।

नई दिल्लीः हाल में हुई रेल दुर्घटनाओं के मद्देनजर सरकार देश में मौजूदा सिग्नल प्रणाली को पूरी तरह बदलने पर विचार कर रही है। इस तरह लोकोमोटिव चालकों के लिए वर्षों से चल रही लाल और हरे सिग्नल की व्यवस्था खत्म हो जाएगी। सरकार बजट में इसकी घोषणा कर सकती है।

पूरे देश में सिग्नल प्रणाली को बदलने के लिए 60,000 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आने का अनुमान है। अलस्टॉम, एनल्सडो, सीमंस, बोम्बार्डियर और थेल्स सहित यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस) की 6 प्रमुख कंपनियां देश में सिग्नल प्रणाली पर काम कर रही हैं।

सिग्नल प्रणाली को पूरी तरह बदलने की योजना
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 'हम मौजूदा सिग्नल प्रणाली को पूरी तरह बदलने की योजना बना रहे हैं। इतिहास में रेलवे पहली बार ऐसा करने जा रही है।' इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि इस कार्यक्रम को एक नए वित्तीय मॉडल की जरूरत है क्योंकि इसके लिए बहुत पैसा चाहिए। सूत्र ने कहा, 'इसे चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है लेकिन मंत्री का मानना है कि अगर बड़े पैमाने पर ऑर्डर देंगे तो सस्ता पड़ेगा।' इसके वित्तपोषण का एक तरीका एन्युटी मॉडल हो सकता है जिसमें कंपनियों को टुकड़ों में भुगतान किया जाता है। इस योजना को मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति के समक्ष रखा जाएगा।

ई.टी.सी.एस. प्रणाली में ट्रेन चालक के लिए एक बार के साथ एक डैशबोर्ड होता है जो यह बताता है कि कितनी दूरी आगे बढ़ने के लिए सुरक्षित है। इसमें एक स्पीडोमीटर होता है जो हरे रंग में रफ्तार की सीमा निर्धारित करता है और पीले रंग में ट्रेन की रफ्तार दिखाता है। जैसे ही चालक ट्रेन की रफ्तार तेज करता है यह डैशबोर्ड पर लाल रंग का अलर्ट दिखाता है। अगर चालक तेज गति के साथ 5 किमी की दूरी तय करता है तो ट्रेन पर अपने आप ब्रेक लग जाता है। फिलहाल लोकोमोटिव चालकों के पास ट्रेन चलाने के लिए कोई तकनीकी मदद उपलब्ध नहीं है। वे पूरी तरह स्टेशनों के आगे चले सिग्नल पर निर्भर हैं। कोहरे और खराब मौसम में जरा सी चूक भी दुर्घटना का कारण बन सकती है। 

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