इन 5 बड़े फैसलो ने बदल दी भारत की अर्थव्यवस्था!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 02:48 PM

these 5 big decisions changed the economy of india

8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला लिया गया और 500, 1000 के नोट बंद हो गए। इसका मकसद डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देना, बाजार से फेक करंसी बाहर करना, कालाधन वापस लाना और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना था लेकिन आपको बता दें कि नोटबंदी से पहले भी आर्थिक सुधार...

नई दिल्लीः 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला लिया गया और 500, 1000 के नोट बंद हो गए। इसका मकसद डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देना, बाजार से फेक करंसी बाहर करना, कालाधन वापस लाना और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना था लेकिन आपको बता दें कि नोटबंदी से पहले भी आर्थिक सुधार को लेकर कई अहम फैसले लिए जा चुके हैं, जिससे भारत की जनता और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है।नोटबंदी के बाद हुए इन  5 फैसलो के कारण अर्थव्यवस्था पूरी तरह बदल गई।

- तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 19 जुलाई 1969 को बैंको का राष्ट्रीयकरण का फैसला किया था. इस दौरान कई निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था और इस फैसले ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बदल कर रख दिया था. इसका रोजगार बढ़ाना और उद्योगों को बढ़ावा देना था।
-24 जुलाई 1991 को किए गए इस फैसले में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था को निजी सेक्टर के लिए खोल दिया गया था. इसका मकसद भारतीय बाजार को पूरी दुनिया के लिए खोलना था, साथ ही इसके माध्यम से कई देश में कई सुधार किए जाने थे. रिपोर्ट्स के अनुसार इस फैसले से जीडीपी की दर 2-3 फीसदी से 9 फीसदी पहुंच गई थी।
- साल 1991 तक भारतीय करेंसी की विनिमय दरों पर सरकार का कड़ा नियंत्रण था, जिससे रुपया बहुत कमजोर था, लेकिन साल 1993 में रुपये को मांग और आपूर्ति के आधार पर तय किए जाने का फैसला किया गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुद्रा विनिमय दर मांग और आपूर्ति के आधार पर तय की जाती है।
- बता दें कि साल 1991 में विदेशी निवेश को लेकर अहम फैसले लिए गए थे, जिससे कई विदेशी कंपनियों को भारत से भागना पड़ा था, लेकिन इसके विपरीत विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की स्थापना की गई, जिससे पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स को भारतीय शेयर बाजारों में प्रवेश की अनुमित मिल गई और आर्थिक सुधार देखने को मिला।
- 1995 से विश्व व्यापार संगठन से समझौते किए गए. जिससे आयात से जुड़े और अन्य नियमों में बदलाव हुआ। सबसे बड़ा असर नए पेटेंट कानूनों और आयातों पर पाबंदी को हटाने का हुआ।
-1 जुलाई 2017 को वन टैक्स-वन नेशन यानी जीएसटी व्यवस्था को लागू किया गया। इसके माध्यम से टैक्स पर टैक्स के व्यापक प्रभाव को खत्म कर एक टैक्स प्रणाली से आर्थिक सुधार करने की कोशिश की गई है।

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