Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 10:21 AM
भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इस अनुमान को खारिज कर दिया है
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने इस अनुमान को खारिज कर दिया है कि शिकागो विश्वविद्यालय द्वारा उनकी छुट्टियां नहीं बढ़ाने की वजह से उन्होंने केंद्रीय बैंक को अलविदा कहा था। उन्होंने कहा कि ये कभी मुद्दा नहीं थीं और वह रिजर्व बैंक में अधिक समय तक रहना चाहते थे जिससे बैंकों के बही खाते की साफ-सफाई के अधूरे काम को पूरा कर सकें। राजन ने एक साक्षात्कार में कहा कि सरकार की ओर से उनका 3 साल का कार्यकाल बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं था। राजन का कार्यकाल पिछले साल 4 सितम्बर को समाप्त हुआ।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री 1992 से पहले ऐसे गवर्नर रहे हैं जिन्हें 5 साल का कार्यकाल नहीं मिला। राजन को पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए.) सरकार में गवर्नर नियुक्त किया गया था। कई मौकों पर उनका सरकार के साथ वैचारिक मतभेद रहा। खरी-खरी बोलने के लिए प्रसिद्ध रहे राजन को 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बारे में उससे कई साल पहले भविष्यवाणी करने का श्रेय जाता है। आॢथक सुधारों के अलावा रिजर्व बैंक की स्वायत्तता तथा सामाजिक विषयों पर बोलने की वजह से वह कई लोगों की आंख की किरकिरी बन गए। राजन ने कहा कि उन्होंने सरकार का यह कहने के लिए दरवाजा नहीं खटखटाया था कि उन्हें विस्तार की जरूरत है। हालांकि, वह चाहते थे कि विस्तार मिले, जिससे वह बैंकिंग प्रणाली की डूबे कर्ज की समस्या का हल कर सकें।