Edited By ,Updated: 26 Apr, 2017 04:12 PM
देश में बीते कुछ साल के दौरान इंटरनेट की स्वीकार्यता खासी तेजी से बढ़ी है।
नई दिल्लीः देश में बीते कुछ साल के दौरान इंटरनेट की स्वीकार्यता खासी तेजी से बढ़ी है। इसके चलते भारतीय भाषाओं ने यूजर्स के मामले में अंग्रेजी को खासा पीछे छोड़ दिया है। जिससे हिंदी का दबदबा भी बढ़ता दिख रहा है। कंसल्टिंग फर्म के.पी.एम.जी. और सर्च इंजन गूगल की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय भाषाओं के इंटरनेट यूजर्स की संख्या 2011 से 2016 के बीच सालाना 41 फीसदी की दर से बढ़कर 23.4 करोड़ हो गई है। वहीं अंग्रेजी यूजर्स की संख्या 17.5 करोड़ रही है।
तमिल पहले, हिंदी दूसरे पायदान पर
इंटरनेट की स्वीकार्यता के मामले में हिंदी काफी आगे है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय भाषाओं में तमिल 42 फीसदी के साथ पहले और हिंदी 39 फीसदी के साथ दूसरे पायदान पर है। इनके बाद कन्नड़, बंगाली और मराठी भाषा का नंबर आता है। रिपोर्ट के मुताबिक 2011 में भारतीय भाषाओं का यूजर बेस 4.2 करोड़ था। 2016 में यह बढ़कर 23.4 करोड़ हो गया। वहीं 2016 में अंग्रेजी भाषा के यूजर्स की संख्या 17.5 करोड़ रही। इस बेस पर 18 फीसदी की ग्रोथ से भारतीय भाषाओं के यूजर्स का आंकड़ा अगले चार साल में 53.4 करोड़ तक पहुंच जाएगा।
ग्रामीण भारत इंटरनेट पर समय बिताने में आगे
इंटरनेट यूजर्स के मामले में शहरों की तुलना में ग्रामीण भारत आगे है। ग्रामीण भारत में प्रत्येक यूजर हर हफ्ते 530 मिनट इंटरनेट पर खर्च करता है। जबकि, शहरी यूजर एक हफ्ते में 487 मिनट इंटरनेट पर लगाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय भाषाओं के 90 फीसदी यूजर्स मोबाइल डिवाइसेज के माध्यम से इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। कुल इंटरनेट यूजर्स की बात करें तो सिर्फ 78 फीसदी ही मोबाइल से इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं।