त्यौहारी मौसम में लखनऊ में सबसे ज्यादा चढ़े सब्जियों के दाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Oct, 2017 04:21 PM

vegetable prices rose in festive season in lucknow

त्यौहारी मौसम में सब्जियों के दाम में तेजी के मामले में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने देश के अनेक शहरों को पीछे छोड़ दिया। उद्योग मण्डल एसोचैम के एक ताजा अध्ययन में यह दावा किया गया है। एसोचैम के आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो द्वारा किए गए अध्ययन में...

लखनऊः त्यौहारी मौसम में सब्जियों के दाम में तेजी के मामले में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने देश के अनेक शहरों को पीछे छोड़ दिया। उद्योग मण्डल एसोचैम के एक ताजा अध्ययन में यह दावा किया गया है। एसोचैम के आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है कि दशहरा और दीपावली के त्यौहारों के दौरान बढ़ी मांग के मद्देनजर इस महीने देश के विभिन्न 25 प्रमुख शहरों में सब्जियों के थोक और खुदरा दाम बहुत तेजी से चढ़े। दाम में सबसे ज्यादा तेजी लखनऊ में देखी गई। सितंबर में जहां लखनऊ में सब्जियों के दाम में 52 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई, वहीं अक्तूबर में दीपावली के आसपास यह वृद्धि 71 फीसद तक पहुंच गई।

एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी.एस.रावत ने कहा कि मूलभूत ढांचागत सुविधाओं की कमी के वजह से उत्पादन की आवक के दौरान भारी मात्रा में सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। त्यौहारी मौसम में मांग के उच्चतम स्तर पर पहुंच जाने की वजह से सब्जियों के दाम खासे बढ़ जाते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि लखनऊ में सितंबर में जहां 28400 मैट्रिक टन सब्जी बाजारों में बिकने के लिये आई थी, वहीं अक्तूबर में इसमें भारी गिरावट आई और यह 18300 मैट्रिक टन ही रही। सितंबर में शहर में सब्जियों का थोक दाम 2263.8 रुपए प्रति क्विंटल था, जो अक्तूबर में बढ़कर 3877.3 रुपए प्रति क्विंटल हो गया। इसी तरह सितम्बर में राजधानी में सब्जियों का खुदरा दाम 3145.3 रुपए प्रति क्विंटल था, जो अक्तूबर में बढ़कर 3302.9 रुपए प्रति क्विंटल हो गया।

रावत ने कहा कि सब्जियों की सही पैकिंग नहीं होने, वातानुकूलित परिवहन वाहनों की कमी, कोल्ड चेन सुविधाओं की कमी, खाद्य प्रसंस्करण की पुरानी तकनीक तथा ऐसे ही अन्य कई कारणों से देश के ज्यादातर हिस्सों में कृषि उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा खराब हो जाता है। उन्होंने कहा कि फलों तथा सब्जियों की आपूर्ति श्रंखला प्रबन्धन को आपूर्ति के हर चरण में सुधारने की जरूरत है। इसके लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों को इस क्षेत्र में निजी पक्षों को भी शामिल करना चाहिए। 
 

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