सब्जियां ‘जमीं’ पर, मुसीबत में किसान

Edited By ,Updated: 01 Jan, 2017 11:30 AM

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सर्दी में हरी सब्जियों का कारोबार हमेशा गर्म रहता है मगर इस बार सब्जियां तो खूब हैं लेकिन नोटबैन के चलते खरीदार उतने नहीं हैं जिसके चलते इनके दाम ‘जमीं’ पर आ गए हैं।

जालंधर: सर्दी में हरी सब्जियों का कारोबार हमेशा गर्म रहता है मगर इस बार सब्जियां तो खूब हैं लेकिन नोटबैन के चलते खरीदार उतने नहीं हैं जिसके चलते इनके दाम ‘जमीं’ पर आ गए हैं। 

किसान मुसीबत में हैं और कारोबारी परेशान हैं कि हाथ में नोट नहीं हैं तो रोज के खर्च आखिर करें भी तो कैसे। उधर किसान जो मंडियों में आलू लेकर आ रहे हैं उसका भी तुरंत भुगतान नहीं हो पा रहा है। मजबूरन वे आलू को सस्ते में बेचकर लौट रहे हैं। इसके चलते किसान औने-पौने दामों में सब्जियां व आलू बेचने को मजबूर हैं।

नया आलू आने से पुराना धड़ाम
आलू की नई फसल आने से पुराने व नए आलू के दामों में भारी गिरावट आई है। आढ़तियों के पास हजारों क्विंटल स्टॉक जमा है जो सडऩे की कगार पर पहुंच गया है। कोल्ड स्टोरेजों की साफ-सफाई होने के चलते पुराना आलू अधिक मात्रा में मंडी भेजा जा रहा है। आढ़तियों की मानें तो कोल्ड स्टोरेज से आलू का भाव न मिलने से काफी नुक्सान उठाना पड़ रहा हैं। उधर नोटबैन की मार भी आलू की फसल पर पड़ी है। जहां स्टोर में आलू सड़ रहा है वहीं मंडियों अमृतसर, कपूरथला, होशियारपुर, टांडा, करतारपुर व जालंधर में लोकल व नए आलू की 20 से 25 ट्रालियों की आमद है लेकिन कैश की किल्लत के चलते इसकी खरीद नहीं हो रही है। मंडियों में आलू 80 से 130 रुपए प्रति कट्टा (50 किलो) के आसपास है जबकि कोल्ड स्टोरों में पड़ा पुराना आलू आढ़ती गुज्जरों को 10 से 30 रुपए प्रति कट्टा (50 किलो) के हिसाब से बेच रहे हैं।

गलियों में सब्जी बेचने वालों की चांदी 

सब्जी होलसेल भाव गलियों में
गोभी 1.50 से 2 10 से 15
मटर  4 से 6 15 से 20
शिमला मिर्च 7 से 8 10 से 15
पालक 2 से 3 10 से 15
साग 2 से 3 10 से 15
मेथी 4 से 5  10 से 15
शलगम 1.50 से 2 10
गाजर 5 से 6 10
मूली 1.50 से 2 10
घीया 3 से 4 10
कद्दू 2 10
टमाटर 6 से 7 10 से 15
प्याज 7 से 10 15 से 20
अदरक 20 से 25 30 से 35
लहसुन 25 से 30 40
हरी मिर्च 10 20

(आंकड़े: रुपए/किलो में)

सरकार को झेलना पड़ेगा किसानों का गुस्सा 
वहीं आलू के भावों में आई भारी गिरावट के चलते सरकार को किसानों का गुस्सा झेलना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि खर्च भी पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा। आलू का कोई सरकारी रेट भी तय नहीं है। प्रति एकड़ 10,000 से 15,000 रुपए तक नुक्सान हो सकता है। जिले में सितम्बर के मध्य में आलू बीजा जाता है। वहीं 65 से 70 दिन बाद इसकी खुदाई कर पूरे देश की मंडियों में भेजते हैं।

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