नहीं मिला गेहूं आयात शुल्क हटाने का लाभ, घट गए दाम

Edited By ,Updated: 23 Dec, 2016 03:12 PM

wheat  government of india

भारतीय बाजारों में गेहूं का सस्ता आयात करने के लिए इस पर आयात शुल्क हटाने के फायदे को गेहूं की गिरती कीमतों ने बेकार कर दिया है। पिछले दो हफ्ते में जब से भारत सरकार ने गेहूं से 10 प्रतिशत का आयात शुल्क हटाया है

मुंबईः भारतीय बाजारों में गेहूं का सस्ता आयात करने के लिए इस पर आयात शुल्क हटाने के फायदे को गेहूं की गिरती कीमतों ने बेकार कर दिया है। पिछले दो हफ्ते में जब से भारत सरकार ने गेहूं से 10 प्रतिशत का आयात शुल्क हटाया है, तब से शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड में गेहूं के दाम छह प्रतिशत तक गिर गए हैं। निकट माह का अनाज अनुबंध फिलहाल 4 डॉलर प्रति बुशल (27.2155 किलोग्राम) पर चल रहा है, जबकि 8 दिसंबर को शुल्क हटाने की घोषणा किए जाने वाले दिन इसके दाम 4.32 डॉलर प्रति बुशल पर चल रहे थे।

हालांकि भारत में गेहूं के दामों में इस आलोच्य अवधि के दौरान देश भर में 5-8 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है। राजकोट में 9 दिसंबर को 1,997.50 रुपए प्रति क्विंटल की तुलना में मंगलवार को गेहूं के दाम गिरकर 1,965.20 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच चुके हैं। सरकार द्वारा आयात शुल्क में कटौती किए जाने के पूर्वानुमान से करीब एक महीने पहले बेंचमार्क राजकोट बाजार में 2,071 रुपए प्रति क्विंटल का स्तर छूने के बाद गेहूं के दाम सुधरने शुरू हो गए थे। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा ने कहा, 'आयात अब भी सस्ता पड़ता है विशेषकर दक्षिणी तटों पर क्योंकि पंजाब जैसे राज्यों से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु तक का परिवहन आयात से ज्यादा महंगा बैठता है। इस कारण इस साल रबी की फसल कटाई शुरू होने तक आपूर्ति की कमी पूरी करने के लिए गेहूं का आयात करना उचित लगता है।'

आयात शुल्क हटाने की घोषणा किए जाने के समय गेहूं आयात की लागत प्रति क्विंटल 200 रुपए तक सस्ती बैठ रही थी। आयात के फायदे से आकर्षित होकर आटा मिलों ने प्रमुख रूप से यूक्रेन के साथ करीब पांच लाख टन गेहूं के आयात का अनुबंध कर लिया। इस प्रकार भारतीय आयातकों को गेहूं आयात का कुल अनुबंध और डिलिवरी करीब 20 लाख टन रहने का अनुमान जताया गया है। व्यापारियों को इस साल 40 लाख टन गेहूं की कमी रहने का अनुमान है।

आरएमएल ऐगटेक के अनुसार लगातार 2 साल सूखा रहने के कारण भारत का गेहूं उत्पादन 8.3 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जिसके परिणाम स्वरूप आपूर्ति में करीब 40 लाख टन कमी की आशंका है। हालांकि देश के 8.7 करोड़ टन सालाना उपभोग की तुलना में सरकार 2015-16 के लिए गेहूं उत्पादन में 9.35 करोड़ टन का अनुमान बरकरार रखे हुए है। आरएमएल ऐगटेक के प्रबंध निदेशक राजीव तेवतिया ने कहा कि भारत की जनसंख्या का अगले 10-15 सालों में 1.6 अरब का स्तर छूने का अनुमान है। इस बढ़ती जनसंख्या की वजह से आज भारत भोजन के उपभोग की दृष्टि से एक मोड़ पर है। इससे बहुत बड़ी मात्रा में भोजन की मांग निर्मित होगी और बढ़ती आर्थिक समृद्धि के कारण बेहतर भोजन की अवश्यकता भी कई गुणा बढऩे वाली है। यह आकलन करना मुश्किल नहीं है कि हम इस मांग को पूरी करने में पीछे हैं।

हालांकि आपूर्ति की कमी से घरेलू बाजार में गेहूं के दाम ऊंचे बने हुए हैं। पिछले रबी सीजन की शुरूआत के 1,600 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर से उछलकर उत्तरी राज्यों में गेहूं के दाम फिलहाल 2,100-2,150 रुपए पर चल रहे हैं। इसलिए कीमत कम करने के उद्देश्य से सरकार ने सितंबर में गेहूं का आयात शुल्क 25 प्रतिशत से कम करके 10 प्रतिशत कर दिया और इस महीने में एक बार फिर उसमें कमी करते हुए शून्य कर दिया। हालांकि कम आपूर्ति के कारण घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं। पिछले रबी सीजन की शुरूआत में गेहूं के दाम 1,600 रुपए प्रति क्विंटल थे, जो उत्तरी राज्यों में इस समय 2,100 से 2,200 रुपए प्रति क्विंटल हैं। 
 

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