Edited By ,Updated: 06 May, 2017 12:18 PM
जटिल और ऊंचा गुड्स एेंड सर्विसेज टैक्स (GST) भारत में इस साल गोल्ड की खपत 4 फीसदी कम करके इसे 650 टन के स्तर पर ला सकता है।
नई दिल्लीः जटिल और ऊंचा गुड्स एेंड सर्विसेज टैक्स (GST) भारत में इस साल गोल्ड की खपत 4 फीसदी कम करके इसे 650 टन के स्तर पर ला सकता है। पिछले साल गोल्ड की खपत 675.5 टन थी। यह बात वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यू.जी.सी.) के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने कही है। उन्होंने कहा कि अगर GST की व्यवस्था के बाद गोल्ड पर कर भार 12 फीसदी से नीचे नहीं रहता है तो आगे चलकर ग्रे रूट के जरिए गोल्ड के आने की संभावनाएं बढ़ेंगी। जी.एस.टी. 1 जुलाई 2017 से प्रभावी हो जाएगा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक 2016 में करीब 100-120 टन गोल्ड स्मगल्ड रूट के जरिए भारत आया था।
टैक्स के लेवल को लेकर चिंताएं
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मैनेजिंग डायरेक्टर (इंडिया) सोमसुंदरम पी.आर. ने बताया कि जुलाई 2017 से लागू होने वाले GST का रुख करने को लेकर कुछ चिंताएं हैं। हालांकि, ऑर्गेनाइज्ड प्लेयर्स की तरफ से व्यापक रूप से जी.एस.टी. के लागू होने का स्वागत किया गया है, क्योंकि इसमें ट्रांसपैरेंसी और कंज्यूमर वैल्यू बढ़ाने की बात है, लेकिन टैक्स के लेवल को लेकर चिंताएं हैं।
पारदर्शिता की ओर रुख करने के मामले में गोल्ड इंडस्ट्री अगुवा के रूप में उभरेगी। इंपोर्ट ड्यूटी के साथ GST 12 फीसदी के मौजूदा लेवल से कम होनी चाहिए। इन मानकों के आधार पर हमने लोअर साइड पर गोल्ड की खपत 650 टन और हायर साइड पर 750 टन रखी है। खपत इस बात पर निर्भर करेगी कि जीएसटी व्यवस्था की ओर रुख कितना आसान होता है।
जी.एस.टी. 12 पर्सेंट से नीचे हो
मौजूदा समय में गोल्ड पर 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी, 1% वैट और 1%की एक्साइज ड्यूटी लगती है, जो कि टोटल 12% हो जाती है। उन्होंने कहा, 'इंपोर्ट ड्यूटी और जीएसटी को संयुक्त रूप से 12 फीसदी से नीचे होना चाहिए।' WGC के चीफ ने यह भी कहा कि सरकार को रिसाइक्लिंग पॉलिसी भी लानी चाहिए और GST व्यवस्था के बाद पुराने गोल्ड की डीलिंग में रिकॉर्ड रखने की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहिए। GST, गोल्ड ट्रेड के लिए लगातार परेशान करने वाला मुद्दा बना हुआ है।