महिला बोर्ड मैंबर्स की पुरुषों की तुलना में 46 प्रतिशत सैलरी कम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 09:29 AM

women board members reduced by 46 percent in comparison to men

कंपनियों के बोर्ड में शामिल महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम सैलरी मिलती है। बोर्ड में महिला सदस्यों की संख्या भी कम है। इस वेज गैप को जो समितियां कम कर सकती हैं, उनमें भी उनकी नुमाइंदगी कम है। ये बातें एक सर्वे के दौरान सामने आई हैं। बी.एस.ई....

नई दिल्लीः कंपनियों के बोर्ड में शामिल महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम सैलरी मिलती है। बोर्ड में महिला सदस्यों की संख्या भी कम है। इस वेज गैप को जो समितियां कम कर सकती हैं, उनमें भी उनकी नुमाइंदगी कम है। ये बातें एक सर्वे के दौरान सामने आई हैं। बी.एस.ई. सैंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों के बोर्ड में शामिल महिला सदस्यों को पुरुषों की तुलना में 2017 में औसतन 46 प्रतिशत कम रकम मिली। स्वतंत्र निदेशकों के साथ भी यह दिक्कत है। महिला स्वतंत्र निदेशकों को पुरुष स्वतंत्र निदेशक की तुलना में औसतन 28 प्रतिशत कम मेहनताना मिला।

महिलाओं के साथ होता आया है भेदभाव
सर्वे दौरान महिला और पुरुष के मेहनताने में अंतर को समझने के लिए कई हैडहंटिंग कंपनियों से बात की गई। उन्होंने इसकी कई वजहें बताईं। कंपनियों का कहना है कि एक तो महिलाओं के साथ इस मामले में पहले से भेदभाव होता आया है, जिसकी वजह कंपनियों की गलत नीति है। उन्होंने कहा कि जब कोई महिला कर्मचारी जूनियर से मिडल और फिर सीनियर लैवल पोजीशन में जाती है तो उसे पुरुष की तुलना में कम सैलरी दी जाती है।

टॉप लीडरशिप पोजीशन में महिलाएं बहुत कम  
टॉप लीडरशिप पोजीशन में बहुत कम महिलाएं हैं। इन कंपनियों में कुल 396 डायरैक्टर हैं, जिनमें महिलाओं की संख्या 46 है। इन कंपनियों के पुरुष निदेशकों को औसतन 2.6 करोड़ रुपए और महिला निदेशकों को 1.4 करोड़ रुपए मिले। सैंसेक्स में शामिल 30 कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या 133 है, जिनमें से 25 महिलाएं हैं। पुरुष स्वतंत्र निदेशकों को औसतन 50.6 लाख रुपए और महिला स्वतंत्र निदेशकों को औसतन 36.3 लाख रुपए का भुगतान 2017 में किया गया। जैसे-जैसे महिला का करियर ग्राफ  चढ़ता है, वेज गैप बढ़ता जाता है।

महिलाओं की प्रोमोशन भी कम
इन्फोसिस की बोर्ड मैंबर और बायोकॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि हायर लैवल पर सैलरी में अंतर कई समितियों की वजह से है, जिनमें बोर्ड मैंबर होते हैं। उनके मुताबिक, फाइनांस और ऑडिट कमेटी में शामिल सदस्यों को सी.एस.आर. कमेटी के सदस्यों की तुलना में अधिक पैसा मिलता है। शॉ ने बताया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की प्रोमोशन भी कम होती है, इसलिए भी सैलरी की रेस में वे पीछे छूटती जाती हैं।

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