Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jun, 2017 10:23 AM
चंडीगढ़ प्रशासन हर वर्ष चंडीगढ़ को चाइल्ड लेबर फ्री बनाने के लिए एक अभियान चलाता है।
चंडीगढ़ (रोहिला) : चंडीगढ़ प्रशासन हर वर्ष चंडीगढ़ को चाइल्ड लेबर फ्री बनाने के लिए एक अभियान चलाता है। जो इस बार भी चलाया गया। लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा चलाया जाने वाला यह अभियान मात्र दिखावा ही नजर रहा है क्योंकि हर वर्ष इस अभियान के तहत बच्चों को बाल मजदूरी करते छुड़वाया जाता है। लेकिन उसके बाद उन्हें उनके मां-बाप के हवाले कर दिया जाता है जोकि अगले दिन फिर मजदूरी करते देखे जा सकते है। इस माह भी 12 जून से 19 जून तक चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा यह अभियान चलाया गया था।
प्राप्त जानकारी अनुसार 10 सें 12 बच्चों को बाल मजदूरी करते पाया गया था जिन्हे स्नेहालय लेजाया गया था जहाँ उनके परिजन आये और बच्चो को उनके हवाले कर दिया गया जो खुद अपने बच्चो से बाल मजदूरी करवा रहे थे। यही नहीं बच्चों को बाल मजदूरी की दल-दल में धकेलने वाले उनके परिजनों और उनसे बाल मजदूरी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में उक्त कार्रवाई को सिर्फ खाना पूर्ति कहा जा सकता है जिसके पीछे मकसद वह वही लूटना मात्र है।
कानून तो है पर लागू कौन करे
ठोस कानून होने के बावजूद प्रशासन उसे लागु करने में हिचकिचाता नजर आ रहा है, जिसके चलते इन बच्चों का समय स्कूल में कॉपी-किताबों और दोस्तों के बीच नहीं बल्कि होटलों, घरों, उद्योगों में बर्तनों, झाड़ू-पोचे और औजारों के बीच गुजर रहा है।
बाल मजदूरी पर हाल ही में पारित किया गया नया कानून बेहद निराशाजनक है। इस की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि यह बाल मजदूरी के कई रूपों को भी जायज ठहराता है। बनाया गया नया कानून कहीं न कहीं बाल मजदूरी को बढ़ावा देता ही नजर आ रहा है। इसके पास होते ही 14 साल की उम्र तक के बच्चों से पारिवारिक कारोबार और फिल्म व टेलीविजन कार्यक्रमों में काम कराया जा सकता है। अभी सिर्फ खदान, ज्वलनशील पदार्थ और विस्फोटक उद्योग को ही खतरनाक माना गया है। जरी और चूड़ी के कुटीर उद्योगों में, कपड़ों की दुकान पर और कारखानों में बच्चे काम कर सकते हैं। नए कानून के तहत पारिवारिक कारोबार के दायरे में माता-पिता के अलावा उनके रिश्तेदार भी आते हैं। जबकि बता दें कि ज्यादातर बच्चों का शोषण रिश्तेदारी के नाम पर ही होता है।