डॉल्स के घरौंदे में जुड़ी फिलीपींस से आई तीन नन्हीं मेहमान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jul, 2017 10:52 AM

dolls museam

अब तक 36 देशों की अनोखी 352 डॉल्स को संरक्षित रखने वाले डॉल्स के घर यानी डॉल्स म्यूजियम में तीन नए सदस्यों ने दस्तक दी है।

चंडीगढ़(नेहा) : अब तक 36 देशों की अनोखी 352 डॉल्स को संरक्षित रखने वाले डॉल्स के घर यानी डॉल्स म्यूजियम में तीन नए सदस्यों ने दस्तक दी है। जी हां फिलीपींस की एम्बैस्डर मारिया टेरेसिता ने शनिवार को शहर में मौजूद इंटरनैशनल डॉल्स म्यूजियम को फिलीपींस की संस्कृति और कल्चर से जुड़ी तीन बेहद खास डॉल्स को डोनेट किया है। इसके साथ ही अब म्यूजियम में मौजूद विदेशी गुडिय़ों की गिनती बढ़कर 355 हो गई है। 

 

असल में विदेशों के साथ शहर को कल्चर और संस्कृति के तहत जोडऩे के प्रयास के चलते और इंटरनैशनल म्यूजियम में ज्यादा से ज्यादा देशों की गुडिय़ों को जोडऩे के मकसद से अगस्त 2016 को लगभग 33 देशों के हाई कमिश्नर और एम्बैस्डर को पत्र लिखा गया था कर उनसे अपने देश की संस्कृति और विरासत को दर्शाने वाली गुडिय़ों के डोनेशन के लिए अनुरोध किया गया था। जिसके कुछ महीनों बाद से ही कई देशों से पॉजिटिव रिस्पांस आने लगा था। इसी कर्म में अब तक वियतनाम और तुर्की की तरफ से भी कई डॉल्स डोनेट की जा चुकी हैं।  

 

इंटरनैशनल डॉल्स म्यूजियम 1985 में बनाया गया था और तबसे लेकर आज तक इसने दुनिया के 36 देशों की डॉल्स को रखा गया है। 1985 से 2009 तक ये म्यूजियम प्रशासन के सोशल वैल्फेयर डिपार्टमैंट के पास था इस वक्त तक इसमें 22 देशों की डॉल्स लाई जा चुकी थीं। इसके बाद इसे डिपार्टमैंट ऑफ म्यूजियम को सौंप दिया गया और आज की तारीख में यहां 36 देशों की डॉल्स मौजूद हैं।

 

फिलीपींस ने म्यूजियम को 3 डॉल्स डोनेट की हैं :
इस बार फिलीपींस की तरफ से म्यूजियम को 3 डॉल्स डोनेट की गई हैं। जिनमें से पटिस तेसोरो द्वारा डिजाइन किए गए लिबास को पहने से गुडिय़ा सबसे ज्यादा खास है। इसकी खासियत खुद इन गुडिय़ा और इसके लिबास की उम्र है। असल में लगभग 23 इंच लंबी इस गुडिय़ा के लिबास को बाकायदा फिलीपींस के लिबास में 100 साल पुरानी साड़ी से बनाया गया है। वहीं खुद इस गुडिय़ा की उम्र भी कुछ कम नहीं, बल्कि 70 वर्ष के लगभग है। 

 

दो संस्कृतियों का मिश्रण है यह गुडिय़ा :
असल में इस गुडिय़ा की खास बात सिर्फ इसकी आयु ही नहीं, बल्कि इसके लिबास में छुपी गहराई भी है। एक तरह जहां इस गुडिय़ा का लिबास पारंपरिक फिलीपींस की तरह है, वहीं इस लिबास को बनाने के लिए पारंपरिक भारतीय परिधान साड़ी का इस्तेमाल किया गया है वो भी करीब 100 साल पुरानी साड़ी।

 

इसी के साथ दो और गुडिय़ों को भी म्यूजियम में शामिल किया गया है जो अपने आपमें बहुत खास हैं। आकार में बेहद छोटी ये 10 इंच की गुडिय़ा अपने आपमें फिलीपींस यानी कि पूरे एक राष्ट्र की पहचान को संजोए हुए नजर आती हैं। इनके परिधान फिलीपींस के फेवरेट हॉलिडे डैस्टिनेशन एंटीपोलो के संस्कृति का समावेश हैं। 
 

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