करवाचौथ पर सास का बहू को जिंदगी का तोहफा, किडनी देकर बचाई जान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Oct, 2017 11:36 AM

donates kidney for saving life of daughter in law

सास तथा बहू का रिश्ता समाज में उत्तरी तथा दक्षिणी पोल जैसा माना जाता है। यदि एक दिन है तो दूसरा रात परंतु हरियाणा के करनाल की एक सास ने अपनी पुत्रवधू को अपनी किडनी दान करके सास तथा पुत्रवधू के रिश्ते को मां-बेटी जैसे रिश्ते की पहचान दी है।

मोहाली(नियामियां) : सास तथा बहू का रिश्ता समाज में उत्तरी तथा दक्षिणी पोल जैसा माना जाता है। यदि एक दिन है तो दूसरा रात परंतु हरियाणा के करनाल की एक सास ने अपनी पुत्रवधू को अपनी किडनी दान करके सास तथा पुत्रवधू के रिश्ते को मां-बेटी जैसे रिश्ते की पहचान दी है। हरियाणा की रहने वाली 44 वर्षीय बाली देवी ने बताया कि उसकी पुत्रवधू 27 वर्षीय अंजू को 4 वर्ष पहले हाई ब्लड प्रैशर की शिकायत हुई थी और इससे उसके सिर में दर्द रहने लगा परंतु अनाड़ी डाक्टरों के उपचार से उसकी दोनों किडनियां बिल्कुल ही खराब हो गईं।

 

अंजू को डायलासिस पर रहना पड़ा परंतु उसकी सास ने उसे इस करवाचौथ पर एक ऐसा तोहफा दिया जो उसके लिए सबसे नायाब तोहफा सिद्ध हुआ। बाला देवी ने अंजू को अपनी एक किडनी दान कर उसे स्वस्थ कर दिया। वीरवार को मोहाली के मायो अस्पताल में सास-बहू को मीडिया के सामने लाते हुए किडनी ट्रांसप्लांट स्पैशलिस्ट डा. मनीष सिंगला ने कहा कि अपने जरूरतमंद रिश्तेदारों को किडनी दान करते समय डरने की जरूरत नहीं है। अब किडनी दान करना पूरी तरह से सुरक्षित है। 

 

मां ने बेटी को किडनी देकर दिया जीवन दान :
जिला संगरूर के गांव कुलार खुर्द की रहने वाली गगनदीप कौर की भी दोनों किडनियां डाक्टरों की अज्ञानता के चलते पेन किलर (दर्द निवराक) दवाइयों के सेवन से खराब हो गईं। गगनदीप ने बताया कि उसे हाई ब्लड प्रैशर की शिकायत आने पर सिर दर्द की शिकायत रहने लगी। 

 

संगरूर के डाक्टरों ने उसे दर्द निवारक गोलियां देनी शुरू कर दीं। इन दवाइायों का असर यह निकला कि कुछ ही समय में उसकी दोनों  किडनियां खराब हो गईं। उसकी माता रणजीत कौर ने उसे अपनी किडनी देकर जीवन दान दिया। रणजीत कौर ने बताया कि पहले उन्हें हर तीसरे दिन जांच के लिए मायो अस्पताल आना पड़ता था, इसलिए उन्होंने मोहाली में ही मकान किराए पर ले लिया।  

 

बीमार रहने की बजह से बीच में ही रह गई पढ़ाई : 
आज गगनदीप पूरी तरह से स्वस्थ है। बीमारी रहने के कारण बी.ए. की पढ़ाई बीच में ही रह गई। गगनदीप ने कहा कि अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है तथा अब अपनी पढ़ाई दोबारा शुरू कर सकेगी। इस अवसर पर डॉ. मनीष सिंगला ने कहा कि आम लोगों में इस बात का भय रहता है कि गुरदा दान करने से उनकी जिंदगी पर उलटा असर पड़ेगा परंतु ऐसा नहीं होता। लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। 

 

किडऩी ट्रांसप्लांट्स स्पैशलिस्ट डॉ. वीरेंद्र धनकड़ ने कहा कि 500 में से 1 बच्चा 1 ही किडनी के साथ पैदा होता है परंतु उन्हें इस बात का पता नहीं होता जिसके चलते वह एक किडनी के साथ ही अपना सारा काम करता रहता है। इसलिए यदि किसी जरूरतमंद को किडनी दान कर दी जाए तो इसका किसी मनुष्य पर विपरित असर नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि ब्लड ग्रुप मिलने पर ही किडनी दान की जाती थी परंतु अब किसी भी ब्लड ग्रुप वाले की किडनी किसी भी व्यक्ति को ट्रांसप्लांट की जा सकती है।


 

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