Edited By ,Updated: 19 Feb, 2017 11:55 AM
प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए अप्रैल 2016 में शिक्षा विभाग ने फीस ड्राफ्ट पॉलिसी का निर्माण करने का शुरूआत की थी। हालांकि इस बात को साल पूरा होने को है लेकिन विभाग फीस ड्राफ्ट पॉलिसी के मामले में नाकाम रहा है।
चंडीगढ़(आशीष) : प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए अप्रैल 2016 में शिक्षा विभाग ने फीस ड्राफ्ट पॉलिसी का निर्माण करने का शुरूआत की थी। हालांकि इस बात को साल पूरा होने को है लेकिन विभाग फीस ड्राफ्ट पॉलिसी के मामले में नाकाम रहा है। अभिभावकों को उम्मीद थी कि वर्ष 2017-18 में होने वाले दाखिले में फीस ड्राफ्ट पॉलिसी बनकर तैयार हो जाएगी तो फीस की मनमानी से उन्हें राहत मिल सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आने वाले सत्र के दाखिले की प्रक्रिया 15 फरवरी को पूरी हो गई फीस ड्राफ्ट पॉलिसी नहीं बनी।
15 फरवरी तक जमा होनी थी फीस :
प्राइवेट स्कूलों में दाखिले की प्रक्रिया दिसंबर में शुरू हुई व प्रोस्पैक्टस भरने के बाद जनवरी में ड्रा हुए। इसके बाद 15 फरवरी तक स्कूलों में फीस जमा हुई। शिक्षा विभाग ने पहले खुद की ड्राफ्ट पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया था। करीब 8 माह तक कोशिश करने के बाद जब अपनी ड्राफ्ट पॉलिसी नहीं बनी तो उसके बाद पंजाब की पॉलिसी लागू करने के संकेत दिए। पॉलिसी लागू करने के लिए पहले 27 जनवरी 2017 को एडवाइजरी कमेटी की बैठक करने का फैसला लिया था पर किन्हीं कारणों से बैठक नहीं हो पाई। उसके बाद शिक्षा सचिव सर्वजीत सिंह का तबादला हो गया व पॉलिसी का मुद्दा बीच में ही लटक गया।
अभिभावकों में रोष :
11 माह बाद भी फीस ड्राफ्ट पॉलिसी को लेकर संजीदगी न दिखाने पर अभिभावकों में रोष है। अभिभावक संदीप जोशी के अनुसार प्रशासन की मिलीभुगत के कारण फीस ड्राफ्ट पॉलिसी को अंतिम रूप देने में प्रशासन के अधिकारी पीछे हट रहे हैं। वहीं अभिभावक राजीव शर्मा के अनुसार प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए चंडीगढ़ पेरेंटस एसोसिएशन काफी समय से संघर्षरत है लेकिन प्रशासन की ढील के कारण अभी तक कुछ नहीं हो सका है।