Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 08:42 PM
बिजली कर्मचारियों के पास सुरक्षा के उपकरण नहीं हैं, लेकिन बावजूद इसके यू.टी. के इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमैँट द्वारा उनसे दिन-रात हाई रिस्क वाला काम लिया जा रहा है। हालत इतनी खराब है कि आए दिन कर्मचारी किसी न किसी हादसे की चपेट में आ रहे हैं।
चंडीगढ़, (विजय): बिजली कर्मचारियों के पास सुरक्षा के उपकरण नहीं हैं, लेकिन बावजूद इसके यू.टी. के इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमैँट द्वारा उनसे दिन-रात हाई रिस्क वाला काम लिया जा रहा है। हालत इतनी खराब है कि आए दिन कर्मचारी किसी न किसी हादसे की चपेट में आ रहे हैं। आलम यह है कि 15 दिनों के भीतर ही दो कर्मचारी बुरी तरह घायल हो चुके हैं।
5 अगस्त को असिस्टैंट लाइनमैन राम अवतार मरम्मत के दौरान घायल हो गया था लेकिन अधिकारियों ने फिर भी कोई सबक नहीं लिया। इससे पहले मनीमाजरा में भी स्ट्रीट लाइट पर काम करते हुए एक अन्य असिस्टैंट लाइनमैन दविंदर सिंह भी घायल हो गया था। मगर फिर भी कर्मचारियों को बिना उपकरणों के ही फील्ड में भेजा जा रहा है।
यही नहीं, स्ट्रीट लाइट्स में कुछ असिस्टैंट लाइनमैन की ड्यूटी तो लगा दी गई है मगर उन्हें बूम लेडर्स की सुविधा तक नहीं दी गई है। इसकी वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। इसके साथ ही कर्मचारियों का बीमा भी विभाग की ओर से नहीं करवाया गया है।
15 महीनों से बिस्तर पर एक कर्मचारी
यू.टी. पावरमैन यूनियन के अध्यक्ष सतपाल ने बताया कि एक आम राहगीर के साथ भी कोई हादसा हो जाए तो सरकार घायलों को भी मुआवजा देती है लेकिन हाई रिस्क का काम करने वाले कर्मियों को कोई भी मुआवजा नहीं दिया जाता ।
पिछले साल ट्रेडमेट विनय कुमार का पोल पर काम करते हुए एक्सीडैंट हो गया व गिरकर रीढ़ की हड्डी टूट गई। यह हादसा पिछले साल 11 मई को हुआ था। तब से विनय कुमार बिस्तर पर पड़ा हुआ है। मैडीकल बोर्ड द्वारा 100 प्रतिशत नकारा की रिपोर्ट के बावजूद न ही कोई मुआवजा दिया गया न हीं बच्चे को नौकरी की बात की जा रही है।