कैंसर मरीजों का इमरजैंसी ट्रीटमैंट भी बढ़ा रहा है PGI पर लोड

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 09:51 AM

emergency treatment

पी.जी.आई. की इमरजैंसी और एडवांस ट्रामा सैंटर में न सिर्फ हादसों के शिकार पेशैंट्स का लोड बढ़ रहा है बल्कि ऐसे मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है जो पेट और हड्डियों के दर्द की शिकायत लेकर आ रहे हैं। डाक्टर्स पर कैंसर, दिल और दिमाग के पेशैंट्स के इलाज की...

चंडीगढ़(अर्चना) : पी.जी.आई. की इमरजैंसी और एडवांस ट्रामा सैंटर में न सिर्फ हादसों के शिकार पेशैंट्स का लोड बढ़ रहा है बल्कि ऐसे मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है जो पेट और हड्डियों के दर्द की शिकायत लेकर आ रहे हैं। डाक्टर्स पर कैंसर, दिल और दिमाग के पेशैंट्स के इलाज की जिम्मेदारी भी है। 

 

रिकार्ड की मानें तो पिछले 6 माह में 3660 पेशैंट्स ने दुर्घटनाओं का शिकार होने के बाद एमरजैंसी और एडवांस ट्रामा सैंटर की शरण ली। पेट और हड्डियों के दर्द के इलाज के लिए 1112 पेशैंट्स ने एमरजैंसी और ट्रामा के डाक्टर्स की टीम को व्यस्त रखा जबकि यह इलाज आसपास के दूसरे अस्पतालों में आसानी से किया जा सकता था। चोटिल मरीजों के बाद डाक्टर्स पर कैंसर के मरीजों की इमरजैंसी भी हावी रही। ब्रेन ट्यूमर, लंग कैंसर और ब्लड कैंसर के मरीजों को आपात स्थिति में ट्रीटमैंट दिया। दिल और दिमाग के मरीजों की बढ़ी तादाद में ब्लीडिंग के साथ पहुंचे। 

 

चौथी बीमारी जिस वजह से एमरजैंसी और ट्रामा के डाक्टर्स की टीम 24/7 व्यस्त रही वह थी आंतों और पेट से जुड़े रोग। पांचवी बीमारी दिमागी दौरों से संबंधित रही। उसके बाद हड्डियों व मांसपेशियों के दर्द से जुड़े मरीजों ने एमरजैंसी में ट्रीटमैंट लिया। पी.जी.आई. प्रबंधन की मानें तो उन्होंने पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के हैल्थ डिपार्टमैंट को लिखा है कि वह अपनी हैल्थ सर्विसेज को अपग्रेड करें ताकि पेट और हड्डियों के दर्द से जुड़े केसों को संबंधित राज्यों में ही ट्रीटमैंट दिया जा सके। 

 

            यह है रिकार्ड 
बीमारी                    पेशैंट्स
हादसे                       3660
कैंसर                       1154
ब्लीडिंग                     767
पेट की बीमारी             708
दिमागी दौरे                 624
हड्डियों की बीमारी        404
इंफैक्शन                    261
शुगर बढऩे पर             159
सांस की तकलीफ         143

 

शुगर के मरीज भी नहीं कम :
एमरजैंसी और ट्रामा के डाक्टर्स की मानें तो पिछले छह महीनों में सड़क हादसों के शिकार, ऊंचाई से गिरने वालों, जहर खाने के  बाद इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों की सबसे ज्यादा तादाद रही। ट्रामा सैंटर में 2171 जबकि एमरजैंसी में 724 मरीजों ने ट्रीटमैंट लिया। कैंसर के मरीजों में ब्रेन ट्यूमर वाले मरीजों ने ब्रेन प्रेशर बढऩे, लंग कैंसर के मरीजों ने सांस में तकलीफ होने, ब्लड कैंसर के मरीजों ने ब्लीडिंग की वजह से आपात स्थिति में इलाज करवाया। 

 

कैंसर के 1016 मरीज एमरजैंसी में जबकि 138 मरीजों ने ट्रामा सैंटर में ट्रीटमैंट लिया। ब्लीडिंग से एमरजैंसी में 724 जबकि ट्रामा में 43 मरीजों ने इलाज करवाया। दिमागी दौरों की वजह से 624 मरीजों ने इलाज करवाया। बड़ी और छोटी आंत की बीमारी की वजह से 708 मरीजों को एमरजैंसी में भर्ती किया गया। सांस की तकलीफ के साथ 143 मरीजों को ट्रीटमैंट दिया गया। हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द की परेशानी वाले 404 मरीजों को डाक्टर्स ने इलाज दिया। 159 डाइबीटिक मरीजों ने शुगर बढऩे पर पी.जी.आई. में ट्रीटमैंट करवाया। 

 

मैंटल डिस्ऑर्डर से ग्रस्त तीन मरीज आए एमरजैंसी में :
रिकार्ड कहता है कि पिछले छह महीनों के दौरान पी.जी.आई. की एमरजैंसी में 3 मरीज पागलपन के इलाज के लिए एमरजैंसी पहुंचे। ये मरीज अपने परिवार के लोगों पर ही नहीं, खुद पर भी अटैक कर रहे थे। ऐसे मरीजों को दवाओं के दम पर स्टेबल किया गया। इन्फैक्शन से ग्रस्त 261 मरीज इलाज के लिए पहुंचे जबकि स्किन की बीमारी के साथ 48 मरीज एमरजैंसी व ट्रामा सैंटर में इलाज के लिए पहुंचे। कान की बीमारी के साथ ट्रामा सैंटर में 13 मरीजों को ट्रामा के डाक्टर्स ने ट्रीटमैंट दिया।  

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