अब 3 माह तक प्रैग्नैंसी से बचाने के लिए लगेगा इंजैक्शन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Oct, 2017 08:34 AM

family welfare department

चंडीगढ़ में अब तीन महीने तक प्रेग्नैंसी से बचाने वाला इंजैक्शन लगेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम के अंतर्गत अब गर्भनिरोध दवाओं और नसबंदी के ऑपरेशन के अलावा इंजेक्टिबल कांट्रासेपटिव(गर्भ रोकने वाले...

चंडीगढ़(अर्चना) : चंडीगढ़ में अब तीन महीने तक प्रेग्नैंसी से बचाने वाला इंजैक्शन लगेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने फैमिली प्लानिंग प्रोग्राम के अंतर्गत अब गर्भनिरोध दवाओं और नसबंदी के ऑपरेशन के अलावा इंजेक्टिबल कांट्रासेपटिव(गर्भ रोकने वाले इंजैक्शन) की भी शुरूआत कर दी है। डियॉक्सी मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रोन एसिटेट(डी.एम.पी.ए.) इंजैक्शन महिला को तीन महीने तक प्रेग्नैंसी से दूर रखेगा। महिला की जब बच्चा कंसीव करने की प्लानिंग होगी इंजैक्शन लगवाना बंद करना होगा। इंजैक्शन बंद करने के छह महीने के बाद महिला गर्भधारण कर सकेगी। 

 

अगले महीने तक इंजैक्शन का स्टॉक चंडीगढ़ पहुंच जाएगा। महिलाओं को कब और किस अवस्था में इंजैक्शन देना है और कहां लगाया जाना है इसके बाबत स्वास्थ्य विभाग ने मैडीकल ऑफिसर्स, ए.एन.एम. और हैल्थ वर्कर्स को ट्रेनिंग भी दे दी है। सिर्फ इतना ही नहीं परिवार कल्याण विभाग ने आबादी नियंत्रित करने के लिए परिवार नियोजन को अपनाने वाली महिलाओं को 150 रुपए से लेकर 350 रुपए की आर्थिक सहायता देना भी शुरू कर दिया है। 

 

सूत्र कहते हैं कि चंडीगढ़ में परिवार नियोजन के लिए ऑपरेशन करवाने की तलवार सिर्फ महिलाओं पर ही लटकती है। रिकार्ड कहता है कि बीते साल चंडीगढ़ की 5157 महिलाओं ने परिवार नियोजन के लिए या तो ऑपरेशन करवाए या फिर दूसरे तरीके अपनाए जबकि सिर्फ 60 पुरुष ऐसे थे जिन्होंने नसबंदी का ऑपरेशन करवाया। ऐसे में गर्भनिरोधक इंजैक्शन महिलाओं को ऑपरेशन या अन्य तरीके अपनाने की मजबूरी से भी बचाएगा। 

 

यह स्कीम भी हैल्थ विभाग ने की हैं लांच :
अबार्शन करवाने के बाद इंट्रा यूटेरिन कांट्रासेपटिव (आई.यू.सी.डी.) डिवाइस अपनाने वाली महिला को 350 रुपए देना शुरू कर दिए गए हैं। डाक्टर्स का कहना है कि अबार्शन के बाद महिलाओं के शरीर में खून की कमी आ जाती है और गर्भनिरोध तरीके न अपनाने की वजह से बहुत सी महिलाएं अबार्शन के बाद फिर से गर्भवत्ती हो जाती हैं और ऐसे में उनकी हैल्थ के लिए खतरा उत्पन्न हो जाता है। इसी आश्य को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने महिलाओं को आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है।

 

सुरक्षित रहेगी महिला की फर्टिलिटी :
गाइनीकोलॉजी एक्सपर्ट की मानें तो गर्भनिरोधक गोलियों के मुकाबले यह इंजैक्शन ज्यादा सुरक्षित साबित होगा। चूंकि गोलियों में एस्ट्रोजन और प्रोजैस्ट्रोन दोनों हारमोंस का समावेश होता है इसलिए गोलियों का सेवन करने के बाद कुछ महिलाओं के हारमोंस गड़बड़ा जाते हैं जबकि इंजैक्शन में सिर्फ प्रोजैस्ट्रोन का इस्तेमाल किया गया है। 

 

एस्ट्रोजन को इंजैक्शन से दूर रखा गया है। इंजैक्शन ऐसे फार्मूला के आधार पर तैयार किया गया है जिसकी वजह से महिला की फर्टिलिटी किसी भी तरह से प्रभावित नहीं होगी। जब महिला संतान सुख प्राप्त करना चाहेगी उसे इंजैक्शन लगवाना बंद करना होगा, इंजैक्शन बंद करने के छह महीने बाद महिला आसानी से गर्भधारण कर सकेगी। 

 

सूत्र कहते हैं कि पी.जी.आई. के गाइनीकोलॉजी विभाग ने इंजेक्टिबल कंट्रासेप्टिव का इस्तेमाल शुरू कर दिया है परंतु फिलहाल यह इंजैक्शन पेशेंट्स को खुद खरीद कर लगवाने पड़ रहे हैं। इंजैक्शन की कीमत 400 से 500 रुपए के बीच है। अगले महीने इंजैक्शन का स्टॉक चंडीगढ़ पहुंचने के बाद महिलाएं यह इंजैक्शन बिल्कुल मुफ्त लगवा सकेंगी। 

 

अविवाहित लड़कियां भी करवा सकती हैं गर्भपात :
एक्सपर्ट की मानें तो पी.जी.आई., जी.एम.सी.एच.-32, जी.एम.एस.एच.-16, सैक्टर-22 सिविल हॉस्पिटल, मनीमाजरा हॉस्पिटल और रामदरबार सिविल हॉस्पिटल में अविवाहित लड़कियां गर्भपात करवा सकती हैं। 

 

एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसा देखने में आ रहा है कि अविवाहित लड़कियां मैडीकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नैंसी (एम.टी.पी.) के लिए झोलाछाप डाक्टर्स के पास चक्कर लगा रही हैं। इतना ही नहीं दस साल की बच्ची के गर्भवत्ती और अविवाहित लड़कियों के दुष्कर्म के शिकार होने के मामले सामने आ रहे हैं। अविवाहित लड़कियों के गर्भपात करवाने पर किसी तरह की रोक नहीं है। सिर्फ उस स्थिति में गर्भपात अवैध है जब गर्भपात की वजह कोख में पलने वाली लड़की है।

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