लापरवाही : वार्ड में ही डाक्टर ने बच्चेे की स्पाइन से निकाला ब्रेन का फ्लूड

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jun, 2017 08:18 AM

fluid of brain removed from child  s spine

10 वर्षीय अमर को कुछ दिनों से तेज बुखार और शरीर में दर्द था। मोहाली के फेस-6 अस्पताल में जब अमर इलाज के लिए पहुंचा तो पैडिएट्रिक डाक्टर ने बच्चे के ब्रेन के फ्लूड को चैक करने का फैसला लिया।

चंडीगढ़(अर्चना) : 10 वर्षीय अमर को कुछ दिनों से तेज बुखार और शरीर में दर्द था। मोहाली के फेस-6 अस्पताल में जब अमर इलाज के लिए पहुंचा तो पैडिएट्रिक डाक्टर ने बच्चे के ब्रेन के फ्लूड को चैक करने का फैसला लिया। मर्ज की पहचान के लिए बेशक टेस्ट जरूरी था, लेकिन यह टेस्ट जिस तरह से किया गया वह बच्चे को ब्रेन इंफैक्शन दे सकता था। पेशैंट्स से भरे वार्ड में डाक्टर ने बज्जे की स्पाइन से सेरेब्रोस्पानल फ्लूड निकाल लिया। 

 

हैरत की बात यह थी कि डाक्टर ने न तो बच्चेे को लोकल अनैस्थिसिया दिया और न ही फ्लूड लेते हुए स्पाइन फ्लूड प्रैशर की जांच की। एक बच्चे की स्पाइन में एसेपटिक कंडीशन में सूई घुसाने का मतलब बच्चे के दिमाग में इंफैक्शन पहुंच सकता है। सी.एस.एफ. कलैक्शन गाइडलाइंस साफ तौर पर कहती हैं कि यह फ्लूड कीटाणु रहित कमरे में निकाला जाना चाहिए। बच्चा दर्द से चिल्लाता रहा जिससे वार्ड में भर्ती अन्य मरीज सहम गए। 

 

बच्चे के डाक्टर डा. तेजवीर ने इस दौरान अपने साथ 10 नर्सिंग स्टूडैंट को भी ट्रेनिंग देने के लिए खड़ा रखा। बलौंगी से इलाज को आए अमर की मां ने कहा अगर बच्चे को फ्लूड लेते हुए सांस की तकलीफ या ब्लड पै्रशर गिरने की प्रॉब्लम हो जाती तो डाक्टर क्या करते? उनके पास सूई के सिवाए और कोई उपकरण भी तो नहीं था।

 

नर्सिंग केयर को आए पेशैंट्स को नहीं देखते डाक्टर :
19 साल का फिरोज 15 दिन पहले एक सड़क हादसे का शिकार हो गया था। उसके दिमाग पर गहरी चोट लगी थी। पी.जी.आई. में उपचार किया गया, परंतु नर्सिंग केयर लंबे समय तक देने की जरूरत थी, इसलिए पी.जी.आई. ने फिरोज को मोहाली अस्पताल रैफर कर दिया। 

 

फिरोज की मां फातिमा ने कहा कि 7 दिनों से उनका बेटा अस्पताल में भर्ती है, परंतु कोई डाक्टर बेटे को देखना नहीं आता। उसके बेटे के हाथ-पैर हिलते रहते हैं, कई बार सांस भी उखडऩे लगती है जब डाक्टर को बुलाए तो कह दिया जाता है कि फिरोज सिर्फ नर्सिंग केयर के लिए यहां है, पेशैंट को ठीक होने में दस दिन या दस महीने भी लग सकते हैं। इलाज पी.जी.आई. ने ही देना है। ई.एम.ओ. डा. संदीप ने कहा कि फिरोज की एक दफा ट्यूब बदल दी गई थी, उसको सिर्फ नर्सिंग केयर ही मिलनी है।

 

10 वर्ष के बच्चे को कुछ दिनों से तेज बुखार और शरीर में थी दर्द 

मेरे पास इस प्रोसिजर के लिए सिर्फ वार्ड ही था : डा. तेजवीर 
पैडिएट्रिक डाक्टर तेजवीर से जब इस बाबत बात की तो वह बोले मैं एक डाक्टर हूं, मैंने सैंपल लिया। मुझे प्रोसिजर वार्ड में नहीं करना चाहिए था, परंतु मैं ऐसा करने पर मजबूर हूं। मेरे पास इस प्रोसिजर के लिए सिर्फ वार्ड ही था। रही बात लोकल अनैस्थिसिया देने की तो उसकी जरूरत नहीं थी। मैंने बच्चे को इंफैक्शन से बचाने के लिए ग्लव्ज पहन रखे थे। बाकी नर्सिंग स्टूडैंट ने मास्क या ग्लव्ज पहने थे या नहीं क्या फर्क पड़ता है। ऐसा क्यों किया जा रहा है इसका जवाब एस.एम.ओ. साहब देंगे मैं नहीं।  

 

खुद बीमार है एमरजैंसी :
मोहाली अस्पताल की इमरजैंसी खुद ही बीमार है।  70 से 80 पेशैंट्स वाली एमरजैंसी में सिर्फ एक डाक्टर और दो नर्स ड्यूटी पर होते हैं। एमरजैंसी की दीवारें और फर्श खून से सने रहते हैं। दिन में 8 से 10 पेशैंट्स की डै्रसिंग करने वाले प्रोसिजर रूम में 5-5 दिन तक युुमिगेशन नहीं की जाती। वार्ड के अंदर की दीवारों पर सीलन ने बुरी तरह से अटैक कर रखा है। सीलन से सनी दीवारें जो स्वस्थ व्यक्ति को भी सांस की बीमारी दे सकती हैं। उनमें बीमार पेशैंट्स को रहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 

 

अस्पताल में मिली खामियां :
-एमरजैंसी में सिर्फ एक डाक्टर, दो नर्स ड्यूटी पर।
-रोस्टर चार्ज से डाक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट के नाम गायब।
-प्रोसिजर रूम की दीवारों पर खून के छींटे, खून से सनी पट्टियों वाला डस्टबीन ढक्कन के बगैर।
-दीवारों पर सीलन। 
-तीमारदारों के बैठने के लिए टूटी कुर्सियां     
-प्रोसिजर रूम में निकालना चाहिए था फ्लूड

 

सिविल सर्जन डा. जय सिंह से हुई बातचीत :
सवाल : अस्पताल की एमरजैंसी इंफैक्टेंड है, प्रोसिजर रूम में 5 -5 दिन तक युमिगेशन नहीं की जाती?
जवाब : यह गलत बात है। उन्हें ध्यान देना चाहिए, क्योंकि बीमार पेशैंट्स का इलाज करना है, उन्हें इंफैक्शन नहीं देना।

सवाल: पेशैंट्स के अनुपात में डाक्टर्स की संख्या कम है, 80 पेशैंट वाली एमरजैंसी में 2 डाक्टर तो ड्यूटी पर होने चाहिए?
जवाब : हॉस्पिटल में दो सीनियर मैडीकल ऑफिसर हैं। उन्हें ऐसी चीजों का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए।

सवाल: डाक्टर वार्ड में ही स्पाइन से फ्लूड निकाल लेते हैं, क्या यह सही है?
जवाब : नहीं, ऐसा नहीं होना चाहिए। ऐसे प्रोसिजर के लिए प्रोसिजर रूम है। 

सवाल : एमरजैंसी ड्यूटी रोस्टर क्या खाली रखना चाहिए?  
जवाब : जब मैं वार्ड में राऊंड लेता हूं तब सब कुछ ठीक देखने को मिलता है। भविष्य में औचक निरीक्षण किए जाएंगे और जवाब मांगा जाएगा।
 

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