Edited By ,Updated: 30 Sep, 2016 12:32 PM
पानी की बर्बादी को रोकने और संक्रमित कीटाणुओं के फैलने पर अंकुश लगाने के मकसद से केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संस्थान ने पैरों से नियंत्रित होने वाले नल की तकनीक का आविष्कार किया है जिसकी मदद से अब पानी के नल को नियंत्रित करने के लिए हाथों की आवश्यकता...
चंडीगढ़ (नेहा): पानी की बर्बादी को रोकने और संक्रमित कीटाणुओं के फैलने पर अंकुश लगाने के मकसद से केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संस्थान ने पैरों से नियंत्रित होने वाले नल की तकनीक का आविष्कार किया है जिसकी मदद से अब पानी के नल को नियंत्रित करने के लिए हाथों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। आप आसानी से बिना पानी बर्बाद किए अपने पांव के इशारे से नाल खोल सकेंगे और बंद कर सकेंगे। इसके अलावा भी इस नल में कई तरह खासियत मौजूद है जैसे कि इसके इस्तेमाल के लिए किसी भी तरह के स्पैशल उपकरण या सैंसर की जरुरत नहीं पड़ेगी।
साथ ही इन नलों को इस्तेमाल करने के लिए कहीं भी बिजली की जरूरत नहीं पड़ेगी। केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संस्थान चंडीगढ़ ने पैरों से चलने वाले नल की इस तकनीक को स्वच्छ भारत अभियान को समॢपत किया है जिसका उत्पादन मोहाली की जल नामक कंपनी करेगी जिसका करार वीरवार को किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक आर.के. सिन्हा व कंपनी के निदेशक विवेक कपूर व अन्य अधिकारी मौजूद रहे। इस तकनीक को लेने के बाद अब एक्यूआ सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड इसी अपने जल ब्रांड के अंतर्गत बाजार में बेचेगी।