कूड़ा ठिकाने लगाने में निगम नाकाम

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 10:04 AM

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स्वच्छ भारत मिशन की रैंकिंग में भले ही चंडीगढ़ आठवें स्थान से चौथे स्थान पर तो आ गया है और उम्मीद है भविष्य में वह पहले नंबर पर भी आ सकता है लेकिन शहर के कूड़े को कहीं और शिफ्ट करने के मामले में अब भी पीछे ही है।

चंडीगढ़(राय) : स्वच्छ भारत मिशन की रैंकिंग में भले ही चंडीगढ़ आठवें स्थान से चौथे स्थान पर तो आ गया है और उम्मीद है भविष्य में वह पहले नंबर पर भी आ सकता है लेकिन शहर के कूड़े को कहीं और शिफ्ट करने के मामले में अब भी पीछे ही है। शहर का एकमात्र ग्रीनटैक गारबेज प्रोसैसिंग प्लांट भी काम नहीं कर रहा है व वहां लगाए जाने वाले कम्पोस्ट प्लांट की स्थिति पर निगम खामोश है। कुछ वर्ष पूर्व निगम ने घर-घर से कचरा एकत्र करने की नीति अपनाई पर उसमें भी कोई स्पष्टीकरण न होने से पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई। 

 

हालत यह है कि शहर में घर-घर से कचरा जमा तो होता है पर सभी लोग उसमें शामिल नहीं। यही कारण है कि इतने निराशाजनक परिणामों के चलते स्वच्छ सर्वेक्षण 2017 में शहर पिछले साल दूसरे स्थान से नीचे चला गया और स्वच्छता के मामले में 11वें स्थान पर रहा। 11वें नंबर पर आने के लिए दलील दी गई थी कि पब्लिक पार्टिसिपेशन कम रहा। अब भी निगम ने इस संबंध में जो ऐप्प बनाई उसे डाऊनलोड करने वाले भी आवश्यकता से काफी कम हैं। 

 

सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा राज्यों का सर्वे शुरू हो चुका है। निगम कचरा संग्रहण और निपटान से जूझ रहा है क्योंकि मानवशक्ति और उपकरण दोनों के साथ-साथ एक गारबेज प्लांट की भी कमी है। पिछले पांच सालों से निगम सदन की बैठकों में कई बार चर्चा हुई है, उपाय व जुर्माने करने की नीतियां बनी फिर भी कचरा सड़कों पर फैंका जा रहा है। 

 

प्लांट आदेशों के बावजूद अधिकतम क्षमता पर नहीं कर रहा काम :
शहर में प्रतिदिन 450 टन कचरा होता है व गारबेज प्लांट एन.जी.टी. के आदेशों के बावजूद अपनी अधिकतम क्षमता पर काम नहीं कर रहा है। निगम से जितना कचरा वह लेता है उतना ही डंम्पिंग ग्राऊंड में फैंक देता है। हालात बदतर होने के बावजूद निगम किसी भी समाधान को खोजने में विफल रहा है। निगम के संबंधित अधिकारी ने स्वीकार किया है कि वह डम्पिंग ग्राऊंड में कचरा फैंक रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वहां बार-बार आग लग जाती है व अब तो बारिश के कारण गंदे पानी से मुख्य सड़क तक फिसलन हो गई। 

 

उनका कहना था कि निगम ने राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस मुद्दे को उठाया व उसके बाद उसने संयंत्र को पूरा कचरा लेने के निर्देश दिए, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। दलित चेतना मंच के अध्यक्ष नरेंद्र चौधरी कहते हैं कि वह यह समझने में नाकाम रहे हैं कि निगम इस क्षेत्र के प्रति इतना असंवेदनशील क्यों हो सकता है। क्षेत्र के निवासियों ने बदबू की शिकायत की है और वह त्वचा रोगों से पीड़ित हैं, लेकिन कुछ भी नहीं किया जा रहा है। 

 

निगम ने पिछले दिनों सार्वजनिक स्थलों पर कचरा फैंकने वालों के लिए जुर्माना भी निर्धारित किया। आज तक केवल दक्षिण बाग में सफाई कर रही कंपनी को ही जुर्माना हुआ किसी व्यक्ति को नहीं व न ही निगम की योजना के अनुसार किसी ने ऐप्प पर कचरे के ढेरों अथवा कचरा फैंकने वालों की तस्वीरें शेयर की। 

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