बुजुर्ग का दर्द: बेगाने को अपना समझ घर लाया, पाला-पोसा, नहीं पता था बुड़ापे में ऐसे होगा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jun, 2017 01:02 PM

girl beat old women

महिला ने किसी बेगाने को अपना समझा और उसे घर ले आई। क्योंकि उसका अपना को वारिस नहीं था इसलिए उसे ही सबकुछ मान बैठी। महिला ने यह सोच एक बच्ची को गोद लिया कि उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगी।

चंडीगढ़: महिला ने किसी बेगाने को अपना समझा और उसे घर ले आई। क्योंकि उसका अपना को वारिस नहीं था इसलिए उसे ही सबकुछ मान बैठी। महिला ने यह सोच एक बच्ची को गोद लिया कि उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगी। इसके लिए महिला ने पति के साथ झगड़ा कर मोल लिया। एक दिन की बच्ची को कोई लावारिस हालत में छोड़कर चला गया था। महिला ने उसे बड़े लाड-प्यार से पाला। उसकी हर ख्वाहिश पूरी की। लेकिन अब वही बेटी मां के लिए मुसीबत बन गई है। महिला के पति की मौत हो चुकी है तो गोद ली हुई युवती ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। युवती बुजुर्ग के साथ मारपीट करती है यहां तक कि मकान पर कब्जा कर लिया। दुखी होकर महिला ने एन.जी.ओ. के हॉस्टल में शरण ली, लेकिन वह गोद ली बेटी वहां भी उसे चैन से जीने नहीं दे रही है। वह पैसे देने पर बुजुर्ग को जमकर पीटा। लोगों ने देखा बुजुर्ग के साथ हो रही मारपीट की सूचना पुलिस को दी। 

पुलिस नहीं कर रही कोई कार्रवाई...
एक युवती का कहना है कि उसने मारपीट होते हुए देखा था। लड़की बहुत बुरी तरह से बुजुर्ग को पीट रही थी। इसके बाद पुलिस को फोन किया। लेकिन पुलिस कुछ करने के बजाए यह कह रही है कि बुजुर्ग के साथ कोई मारपीट नहीं हुई है न ही उसे कोई चोट आई है। 

नहीं पता था बुड़ापे में यह दिन देखना पड़ेगा...
63 साल की बुजुर्ग सुदेश कौर का कहना है कि मुझे नहीं पता था कि बुड़ापे में यह ऐसे दिन देखने पड़ेंगे। बुजुर्ग के मुताबिक कई साल पहले उन्हें राजस्थान में एक लावारिस बच्ची मिली थी। घर में कोई बच्चा नहीं था तो दोनों ने तय किया कि वह बच्ची को पालेंगे। इसके बाद वे बच्ची के घर ले आए। पति ट्रांसपोर्ट का काम करते थे। तीन साल पहले पति की मौत हो गई। वहीं, बेटी 18 साल के आसपास हो चुकी थी।
पति की मौत के बाद बेटी ने उनके साथ झगड़ा करना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई, जब उसने मारपीट करनी शुरू कर दी। उनकी कोठी डेराबस्सी में थी। बेटी ने कोठी पर कब्जा कर लिया। कोठी में किराएदार रखे हुए हैं उनसे जो रेंट आता है उसे भी खुद रखने लगी। बेटी के अत्याचारों से परेशान मैंने घर छोड़ दिया। चंडीगढ़ सैक्टर-35 की एक एन.जी.ओ. के उस हॉस्टल में गई, जहां पहले अटेंडेंट की नौकरी करती थी। पिछले करीब एक महीने से यहां रह रही थी, लेकिन बेटी को किसी तरह से पता लग गया कि उसकी मां आश्रम में रह रही है। वह यहां आकर भी मेरे साथ मारपीट करने लगी। 

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